भोपाल । अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई की टीम सोमवार को भोपाल पहुंची और साइबर क्राइम भोपाल के अफसरों से मुलाकत की। उनका भोपाल आने का एक ही मकसद है कि इंद्रपुरी में संचालित कॉल सेंटर द्वारा अमेरिकी और कैनेडियन नागरिकों से हुई धोखाधड़ी के आरोपितों की गिरफ्तारी की जा सके। एफबीआई की टीम ने ठगी के शिकार अमेरिकी नागरिकों के बयान भी साइबर क्राइम को सौंप दिए हैं। टीम ने भरोसा दिलाया है कि उनको किसी भी नागरिक के बारे में जानकारी चाहिए तो वह वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए ले सकते हैं।

यह पहला मौका है कि किसी आपराधिक मामले को लेकर एफबीआई भोपाल पहुंची है और साइबर क्राइम के साथ मिलकर जांच कर रही है। इस ठगी के खुलासे के लिए सायबर पुलिस को अमेरिकी एजेंसी एफबीआई से प्रशंसा पत्र और स्मृति चिह्न भी मिला है।

बता दें कि भोपाल के इंद्रपुरी में अवैध कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा था। जहां पर साइबर क्राइम ने 31 अगस्त को छापा मारा तो लोगों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी के काफी साक्ष्य बरामद किए थे। वहीं पर पुलिस को अमेरिका के नागरिकों का डाटा भी मिला था, जिन्हें ठगी का शिकार बनाया गया था। अभी इस मामले में आठ लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। इसके साथ ही जयपुर में भी इसी प्रकार के रैकेट का खुलासा किया गया था।

एफबीआई की टीम ने सौंपे अहम साक्ष्य

अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई ने सोमवार को ठगी के शिकार हुए अमेरिकी नागरिकों कथन, अपराध में उपयोग किए गए फर्जी ईमेल, आईडी, अमेरिका के नाािगरिकों को भेजे जा रहे फर्जी दस्तावेज, अरेस्ट वारंट, जब्त अमेरिकन नागरिकों का डाटा वेरीफिकेशन कर साक्ष्य साइबर क्राइम को सौंप दिए। पिछले दिनों ही साइबर क्राइम की स्पेशल डीजी अरुणा मोहन राव अपनी टीम के साथ दिल्ली गई थीं। जहां एफबीआई टीम को इस धोखाधड़ी के बारे में जानकारी दी गई थी।

एफबीआई ने नई शिकायतें भी सौंपी

साइबर क्राइम के एसपी राजेश सिंह भदौरिया का कहना है कि एफबीआई की टीम भोपाल पहुंची है। एफबीआई के अफसर सुहैल दाउद ने अमेरिकन नागरिकों द्वारा की नई शिकायत की गई थी । जिनको भी साइबर क्राइम को सौंप दिया। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि जिनके साथ धोखाधड़ी हुई थी। वह साइबर क्राइम को वीडियो कान्फ्रेसिंग के जारिए जानकारी के उपलब्ध रहेंगे। एफबीआई के अफसर ने साइबर क्राइम के अफसरों से भी मुलाकत की और भरोसा दिलाया कि आगे भी इस प्रकार की ठगी में आगे भी कोई मदद की जरूरत हो तो वह मदद को तैयार हैं।

अमेरिकी लैंग्वेज में आस्ट्रेलियन तथ्य थे

एफबीआई के अफसर सुहैल दाउद ने साइबर क्राइम को बताया कि आरोपियों द्वारा जो पीड़ितों को भेजे गए अरेस्ट वारंट फर्जी थे। उनमें अमेरिकी लैंग्वेज के साथ आस्ट्रेलियन तथ्यों को भी जोड़ा गया था, जिसे पीड़ित समझ नहीं पाए और जालसाजी का शिकार हो गए। अब एफबीआई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अमेरिका में बैठे पीड़ितों के बयान जिला अदालत में दर्ज कराएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *