अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ मोदी सरकार जल्द ही पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रही है। कानून मंत्रालय की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर करने की हरी झंडी मिल गई है। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने गुरुवार को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को लेकर सरकार ने विचार विमर्श किया है। उन्होंने बताया कि मैंने कानून मंत्रालय को पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्देश दे दिया है।
जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ विधि अधिकारी सुप्रीम के फैसले का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं जिससे केसरकार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मजबूती से अपना पक्ष रख सके। वरिष्ठ अधिकारियों की माने तो बुधवार तक सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर कर दी जाएगी।
मालूम हो कि गत 20 मार्च को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 केहो रहे दुरूपयोग केमद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के तहत मिलने वाली शिकायत पर स्वत: एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने का कहना है कि कानून ऐसा नहीं होना चाहिए जो जातियों के बीच नफरत फैलाए।

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि पंचायत, नगर निगम या अन्य चुनावों में लोग इस एक्ट की आड़ में राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। संपत्ति विवादों और पैसों को लेन-देन केमामले में इस एक्ट को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। पिछले 30 वर्षों में कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं। शीर्ष अदालत ने कहा था कि कार्यपालिका ने यह कानून को इसलिए नहीं बनाया था कि लोग ब्लैकमेल करने के लिए इसे हथियार केतौर पर इस्तेमाल करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *