हाथरस.  उत्‍तर प्रदेश के हाथरस (में कथित गैंगरेप और हत्‍या की शिकार युवती का मुकदमा दिल्‍ली की निर्भया की वकील रहीं सीमा समृद्धि कुशवाह  लड़ेंगी. खुद सीमा कुशवाह ने बताया है कि दो दिन पहले ही हाथरस पहुचंकर पीड़ि‍ता के परिवार से मिली सीमा को परिवार ने भी मुकदमा करने की मंजूरी देने के साथ ही पूरी घटना की जानकारी दी है. लिहाजा वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने को लेकर तैयारियां कर रही हैं.

एडवोकेट सीमा समृद्धि कुशवाह ने बताया कि पीड़ि‍ता के भाई से हुई फोन पर बातचीत के बाद वे हाथरस परिवार से मिलने पहुंची जहां उन्‍हें मिलने से रोक दिया गया था. हालांकि इसके बाद भी पीड़ि‍ता का चचेरा भाई उनसे मिलने दिल्‍ली पहुंचा. जहां मुकदमा करने को लेकर सभी जरूरी बातें फाइनल हो गई हैं. इसके साथ ही परिवार से वकालत नामा पर हस्‍ताक्षर कराने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है.

वे बताती हैं, ‘इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की जाएगी. हालांकि अभी उत्‍तर प्रदेश सरकार की ओर से गठित की गई एसआईटी की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि 12 अक्‍तूबर को यह रिपोर्ट आनी है. जिसे देखने के बाद ही हम मुकदमा फाइल करेंगे. अगर एसआईटी की रिपोर्ट में कमियां नजर आएंगी या किसी का कोई बयान दर्ज नहीं हुआ होगा या चीजें बदली गई होंगी तो उससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट भी मूव कर सकते हैं और कोर्ट से निर्देश देने के लिए अपील करेंगे, जिसमें कोर्ट संज्ञान लेने से पहले इस मामले की विभिन्‍न एंगल से दोबारा जांच का आदेश दे सकता है. पीड़ि‍ता के गांव में दूसरा पक्ष किसी भी तरह से लड़कों को बचाने की कोशिश में जुटा है. इसके लिए वे इस परिवार और मदद करने वालों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं लिहाजा इस मामले को हम दिल्‍ली में ट्रांसफर करवाने की पूरी कोशिश भी करेंगे.’

सीमा कहती हैं, हाथरस पीड़ि‍ता की मौत हो चुकी है. उसका अपना बयान है कि रेप हुआ है. आठ दिन त‍क उसका परीक्षण नहीं कराया जाता. रेप की धाराएं बाद में जोड़ी जाती हैं. सफदरजंग अस्‍पताल में उसे लाया जाता है लेकिन यहां सिर्फ उसका एक ब्‍लड टेस्‍ट होता है जबकि ऑपरेशन से पहले कितनी जांचें होती हैं जो नहीं हुईं. यहां से पुलिस जबरन उसे ले जाती है, रात के ढाई बजे बिना शव उसके परिजनों को सौंपे दाह संस्‍कार कर देती है. यह अपराध है. यह बेहद ही अमानवीय और मौलिक अधिकारों के खिलाफ की गई कार्रवाई है. पुलिस की कार्रवाई शुरू से ही शक के घेरे में है. लिहाजा कोर्ट में वे यूपी पुलिस और सफदरजंग अस्‍पताल के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग करेंगी.

सीमा समृद्धि कहती हैं कि उनकी पूरी टीम इस केस पर काम कर रही है. जहां भी जैसे भी होगा इस केस को बेहद मजबूती से वो कोर्ट में रखेंगी. हाथरस की पीड़ि‍ता को वे इंसाफ दिलाकर रहेंगी. उनका कहना है कि दिल्‍ली में निर्भया के मामले में ये कमी थी कि सिस्‍टम निष्क्रिय था. उन्‍हें महीनों तक फाइलों के लिए इधर से उधर भटकना पड़ा था लेकिन यहां तो पुलिस ही पहरेदार है. पुलिस पीड़ि‍त पक्ष से किसी को मिलने नहीं दे रही जो कि उनका हक है. पुलिस खुद ही शव जला रही है. खुद ही सभी कार्रवाई कर रही है. ऊपर से उस गांव में जाति का बोलबाला है. इस मामले में जातिगत रंजिश भी काम कर रही है. तो यहां और भी ज्‍यादा चुनौतियां हैं.

एडवोकेट कुशवाह का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वे छह अक्‍तूबर को फिर हाथरस जाएंगी. इससे पहले जब वे गईं तो एडीएम ने न केवल उनके साथ बदसलूकी की बल्कि परिवार से भी मिलने नहीं दिया. इसके लिए वे उस गांव में रात 10 बजे तक रुकी रहीं. उन्‍होंने रात में 10 बजे फिर एक बार जाकर परिवार से मिलने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने नहीं मिलने दिया. जबकि फोन पर उनकी परिवार से लगातार बात हो रही थीं. आखिरकार वह दिल्‍ली लौट आईं.

सीमा समृद्धि कुशवाह उत्तर प्रदेश के इटावा की रहने वाली हैं. इन्‍होंने दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है. आईएएस बनने की चाहत रखने वाली सीमा जब वकालात की ट्रेनिंग ले रही थीं तभी दिल्‍ली में निर्भया कांड हुआ. उस वक्‍त इन्‍होंने निर्भया से संबंधित पूरे केस की जानकारी ली और इसे लड़ने का फैसला किया. इसके लिए सीमा ने कोई फीस भी नहीं ली. सात साल तक अथक मेहनत करने के बाद सीमा आखिरकार सफल हुई और अपने पहले ही केस में दोषियों को फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया.

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