इंदौर ! देवास जिले का एक गाँव ऐसा भी है, जहाँ सरपंच, पंचायत सचिव, पेंशनर, कर्मचारी, नेता सभी गरीबी रेखा के नीचे जिन्दगी गुजारते हैं। यहाँ सौ से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो अमीर होते हुए भी सरकार की गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों की सूची में शामिल हैं। इतना ही नहीं यहाँ अन्त्यवसायी योजनाओं के लिए बनी सूची में भी ७५ से ज्यादा ऐसे लोगों के नाम हैं जिनपर गाँव वालों को ही आपत्ति है। अब तक देवास तहसील में ही ११०० से ज्यादा अपात्रों के नाम हटाए जा चुके हैं। शिकायत जब जिले के अधिकारियों तक पंहुची तो वे भी दंग रह गए। अब अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं।
यह है देवास जिला मुख्यालय से करीब २० किमी दूर छोटा सा गाँव बगाना। डेढ़-दो सौ घरों की बस्ती और तकरीबन अठारह सौ की आबादी। कमाल यह है कि इस गाँव में गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों की सूची में सौ से ज्यादा अमीरों के नाम भी दर्ज हैं। ग्राम पंचायत बगाना में तीन गाँव शामिल हैं लेकिन अकेले बगाना में ही अभी तक की पड़ताल में सौ नामों का खुलासा हो चुका है। पूर्व सरपंच रामचन्द्र के परिवार में काफी जमीन है, डेरी फार्म और बड़ा सा मकान है, पत्नि जनपद प्रतिनिधि है फिर भी उनके बेटे का नाम गरीबी रेखा सूची में है। इसी तरह पूर्व पंचायत सचिव संतोष के शहर और गाँव में तीन आलीशान मकान हैं, तीन भाइयों के गोल खाते में १५ बीघा खेती है, खेत पर ट्यूबवेल चल रहा है, मोटरसायकिलें हैं, घर पर रंगीन टीवी, फ्रीज, कूलर सब कुछ है पर सरकारी रिकार्ड में इनका भी नाम गरीबों की सूची में हैं। संतोष का नाम एएवाय यानी अन्त्यवसायी सूची में भी है। गौर करने वाली बात है कि गाँव की ये सूचियाँ बनाने का काम संतोष के ही जिम्मे था। इसी तरह बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त लाइनमेन तेजूलाल के पास बड़ा सा मकान, बोलेरो, २५ बीघा जमीन, ट्यूबवेल, ट्रेक्टर, थ्रेशर मोटरसायकिल सहित बैंक खाते भी हैं। उन्हें खुद १५ हजार रूपये महीने पेंशन भी मिलती है पर उनके तीनों बेटों के नाम गरीबों में शामिल हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो सरकारी नौकरियां कर रहे हैं तो कुछ इलाके के मालदार आसामी हैं, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि असली गरीबों को उनका हक़ कैसे मिलेगा।
जब गाँव के ही कुछ लोगों ने जिले के अधिकारियों के सामने बकायदा प्रमाणों के साथ शिकायत की तो वे भी दंग रह गए। इससे पहले भी देवास तहसील क्षेत्र से ही जांच के बाद ११४२ फर्जी गरीबों के नाम सूची से हटाये जा चुके हैं। अधिकारी बताते हैं कि लगातार हो रही कार्रवाई से ही प्रेरित होकर खुद गाँव के लोग अब शिकायत कर अपात्र लोगों की जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह की जानकारी प्रशासन को देता है तो उसका नाम गोपनीय रखा जायेगा और शिकायत पर कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। अपात्र खुद भी अपने कार्ड का समर्पण कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *