भोपाल। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान डी.सी. सागर ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिये मिशन के रूप में कार्य करना है। उन्होंने कहा है कि इस कार्य को अन्य राज्यों के लिये अनुकरणीय बनाने के साथ ही मध्यप्रदेश को न्यूनतम सड़क दुर्घटनाओं में आदर्श राज्य बनाना है। सागर ने बताया कि भोपाल में शीघ्र ही एक और कम्प्यूटरीकृत ड्रायविंग टेस्ट सेन्टर प्रारंभ होगा।

एडीजी सागर ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष अभय मनोहर सप्रे (पूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय) द्वारा विगत दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मध्यप्रदेश शासन के साथ आयोजित बैठक में मध्यप्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर को कम करने के लिये निर्देशित किया गया। सप्रे ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में 80 प्रतिशत से अधिक दुर्घटनाएँ वाहनों की तेज गति के कारण होती है, जिसे कम किया जाना चाहिए। उन्होंने मोटर यान (संशोधित) अधिनियम, 2019 को मध्यप्रदेश में शीघ्र लागू करने के निर्देश देते हुए कहा कि वर्तमान में पुलिस एवं परिवहन विभाग द्वारा मोटरयान अधिनियम, 1988/2013 के तहत ही कार्यवाही की जा रही है। सप्रे ने जिलों की सड़क सुरक्षा समिति की त्रैमासिक आधार पर बैठकें आयोजित करने, सुरक्षित सड़कों के लिये गति नियंत्रक उपकरणों को प्रयोग में लाने, सड़क सुरक्षा फंड को नॉन लेप्सेबल बनाकर राजपत्र में प्रकाशित करने और राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में कमी के लिये नेशनल एवं स्टेट हाईवे पर पेट्रोलिंग बढ़ाये जाने के निर्देश दिये।

एडीजी सागर ने बताया कि वीडियो कान्फ्रेंसिंग से आयोजित बैठक में लिये गये निर्णय अनुसार सड़क दुर्घटना डाटा, गति नियंत्रक उपकरण फिटमेंट और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस एवं धारा-19 मोटर यान अधिनियम, 1988 व सपठित केन्द्रीय मोटर यान नियम, 1989 एवं धारा-185 मोटर यान अधिनियम, 1988 के संबंध में कार्यवाही करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि वाहन को निर्धरित गति-सीमा से अधिक गति पर चलाने, सड़क पर लाल बत्ती का उल्लंघन करने, माल ढोने वाले वाहनों में क्षमता से अधिक माल ढोने एवं माल वाहक में यात्रियों का परिवहन करने, हेलमेट एवं सीटबेल्ट धारण न करने वाले चालकों के विरूद्ध कार्यवाही करने, शराब का सेवन कर वाहन चालन पर धारा-185 मोटर यान अधिनियम, 1988 के अंतर्गत पुलिस एवं परिवहन विभाग द्वारा प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।

दुर्घटना संभावित स्थलों पर सुधारात्मक ट्रेफिक कामिंग मेजर्स लागू करने, सड़क निर्माण एजेंसियों द्वारा इस कृत कार्यवाही का साक्ष्य स्वरूप छायाचित्र, वीडियोक्लिप समग्र रिपोर्ट के साथ फरवरी, 2021 तक भेजने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सड़क सुरक्षा से जुड़े प्रशिक्षण को राजमार्ग इंजीनियरों को प्रदान करने पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने और उन्हें विशिष्ट इंजीनियरिंग कार्यों से निपटने के लिये आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिये गये हैं। यातायात पुलिस को उचित प्रशिक्षण देने के साथ ही मैन पावर एवं उपकरणों में प्रभावी वृद्धि करने को कहा गया है ताकि BPR&D के मापदंडों तक निश्चत समय-सीमा में चरणबद्ध तरीके से पहुँचने में आसानी हो सके।

सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राज्य शासन कार्यवाही करना जारी रखेगा, विषेष रूप से उन सभी सड़क क्षेत्रों की पहचान जहाँ सबसे अधिक दुर्घटनाओं की संभावना हैं, उनके तीसरे पक्ष के ऑडिट का आयोजन, ऑडिट की सिफारिशों के कार्यान्वयन, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में NH, SH, MDRs पर अंधेरे के दौरान सड़क खण्डों पर स्ट्रीट लाइट की स्थापना, पुलों और क्रेश बैरियर का रखरखाव, मरम्मत और प्रतिस्थापन, सुसज्जित एम्बुलेंस और आघात देखभाल सुविधाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना और उनका मानचित्रण करने के निर्देश दिए गये हैं।

एडीजी सागर ने बताया कि राज्य शासन ने एक ड्रायवर टेस्ट ट्रेक और एक ऑटोमेटेड व्हीकल टेस्टिंग और सर्टिफिकेट सेन्टर की स्थापना की है, जो कार्य कर रहा है। शीघ्र ही भोपाल में भी एक और कम्प्यूटरीकृत ड्रायविंग टेस्ट सेन्टर चालू किया जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार राज्य के सभी जिलों एवं आरटीओ में कम्प्यूटरीकृत ड्रायविंग टेस्ट सेन्टर जनवरी 2021 तक स्थापित करने का कार्य करेगी।

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