भिण्ड। कभी नवजात कन्या शिशुओं की हत्याओं के लिए जाने जाने वाले जिले के गोहद विकास खण्ड के ग्राम खरौआ की फिजां बदलने लगी है। पिछड़ा वर्ग गुर्जर जाति बाहुल खरौआ के लोगों के घरों में अब नवजात लड़कियाें की किलकारियां गूंजनी शुरू हो गर्इ हैं। बीते एक माह की अवधि में गांव के विभिन्न परिवारों में 14 कन्या शिशुओं ने जन्म लिया है, जिनकी वे ही परिवार बाखुशी परवरिश कर रहे हैं, जो कभी उनके जन्म को अशुभ मानकर उन्हें पल्लवित होने के पहले ही मार दिया करते थे। लगभग आधी सदी से भी ज्यादा समय से कन्या शिशुओं की हत्याओं के लिए बदनाम खरौआ गांव के लोगों में यह चेतना 30 जून को गांव के एक परिवार में हुर्इ ऐसी ही एक हत्या के बाद पुलिस और प्रशासन द्वारा आरोपियों के खिलाफ दर्ज हुए हत्या के प्रकरण के बाद से आर्इ है।
खरौआ गांव में कन्याओं को जन्म के बाद उनकी हत्या कर देने की कुप्रथा थी स्वास्थ्य मकहमे के तमाम प्रयासों के बाद भी इस कुप्रथा पर रोक नहीं लग पा रही थी। 30 जून को खरौआ गांव के निवासी बंटी गुर्जर की पत्नी श्रीमती अनीता ने गोहद के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक कन्या को जन्म दिया पूरी तरह स्वस्थ नवजात कन्या को बंटी गुर्जर जच्चा-बच्चा को घर ले गया और नवजात कन्या की हत्या कर दी गर्इ। इस बात की जानकारी गांव के सरपंच रामअखितयार गुर्जर ने जिला प्रशासन और पुलिस को दी। पुलिस ने मामले की जाच के बाद नवजात कन्या के पिता बंटी गुर्जर, चाचा कमल गुर्जर और दादा भंवर गुर्जर के खिलाफ हत्या और हत्या के साक्ष्य मिटाने का मामला दर्ज किया है। सभी आरोपी मय परिवार के फरार है। जिनकी पुलिस तलाश कर रही है।
खरौआ गांव के सरपंच रामअखितयार सिंह गुर्जर ने बताया कि नवजात कन्या की हत्या हत्या करने बालों के खिलाफ मामला दर्ज हो जाने केे बाद पूरे गांव में दहशत है इस कारण एक माह में 14 बचिचयों का जन्म हुआ है। और वे पूरी तरह स्वस्थ है। अब उन्हें कोर्इ मार डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्रीमती कल्पना बौहरे ने बताया कि श्रीमती उर्मिलाबार्इ, गुडडी, राजेशीबार्इ, लोंगश्री, रेखा, कोमलेश, ममता, मंजेश, सीमा, रेखा, सीमा,सुनीता ने एक- एक बच्ची को जन्म दिया है तथा श्रीमती प्रीति ने दो कन्याओं को जन्म दिया है। 1500 की आबादी बाले इस गांव में एक हजार युवकों पर 336 बालिकायें है। लेकिन अब लडकियों की संख्या में वृद्धि होगी।
खरौआ गांव के सरपंच रामअखितयार सिंह गुर्जर का कहना था कि प्रदेश सरकार बेटी बचाओ अभियान को भले ही बढाबा दे रही हो लेकिन भिण्ड का जिला प्रशासन, महिला बाल विकास और स्वास्थ्य महकमा के अधिकारी इस अभियान को केवल कागजों में चला रहे हैं। प्रचार प्रसार के अभाव में सरकार की योजनाओं का लाभ जरुरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। अधिकारी जमीनी हकीकत जानने के लिये केबिन छोडकर ग्रामीण क्षेत्र में जाने के लिये तैयार नहीं है। एसी का मजा लेने बाले अणिकारी गांव की धूल नहीं खाना चाहते।