बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना तेल कीमतों की बढ़ोतरी को लेकर केंद्र सरकार का मुखर विरोध कर रही है लेकिन वह कांग्रेस के भारत बंद में शामिल नहीं होगी। यह ऐलान रविवार को पार्टी की तरफ से किया गया। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि आखिर ऐसा क्या कि एक दिन पहले तक शिवसेना ने शहर भर में तेल कीमतों में बढ़त के खिलाफ पोस्टर लगाने के बाद अचानक बंद में शामिल न होने का फैसला किया। कारण? बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की एक कॉल।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, उनमें से कई लोगों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बंद में शामिल न होने की गुजारिश की थी लेकिन अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तरफ से कॉल आने के बाद पार्टी ने अपने स्टैंड में बदलाव किया। हालांकि कांग्रेस-एनसीपी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल होने के लिए शिवसेना से अपील की है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम गठबंधन सहयोगी पार्टियों (बीजेपी-शिवसेना) के लिए एक पैचअप की तरह देखा जा रहा है। अगर शिवसेना बंद में शामिल होने के लिए निर्णय लेती तो यह बीजेपी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी की बात होती क्योंकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना से केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी के साथ गठबंधन में है।

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