उज्जैन। जिले की एक छात्रा को एमपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में एक अंक हासिल करने के लिए हाईकोर्ट तक जाना पड़ गया। छात्रा ने कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिरकार अदालत से न्याय मिला। दरअसल, एक अंक कम होने से छात्रा सरकार की ओर से मिलने वाली लैपटॉप की राशि से वंचित हो गई थी। अब उसे 25 हजार स्र्पए लैपटॉप खरीदने के लिए प्रदान किए जाएंगे।

मामला उज्जैन जिले की तराना तहसील के प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी हायर सेकंडरी स्कूल का है। छात्रा सोफिया गौरी खान ने वर्ष 2016-17 में हायर सेकंडरी की परीक्षा में 500 में से 424 अंक हासिल किए थे। महज एक अंक से वह प्रदेश सरकार से लैपटॉप की राशि पाने से वंचित रह गई थी। दरअसल, लेपटॉप के लिए 85 फीसदी अंक अनिवार्य हैं।

सोफिया ने पुनर्गणना और पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। उसे उम्मीद थी कि इससे कम से कम 5 अंक अधिक मिल जाएंगे। हालांकि नतीजा सिफर रहा। इस पर सोफिया ने अभिभावकों की मदद से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि छात्रा की कॉपी पुन: जांची जाए।

पुन: कॉपी जांचने पर अर्थशास्त्र विषय में उसे एक अंक अधिक मिला। अब उसे सरकार की ओर से लैपटॉप राशि प्रदान करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। सोफिया बताती है कि पुनर्गणना, पुनर्मूल्यांकन सहित कोर्ट जाने में लैपटॉप के लिए मिलने वाली करीब आधी राशि खर्च हो गई है। हालांकि सुकून इस बात का है कि देरी से ही सही न्याय मिला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *