भोपाल। भले ही इस बार अप्रैल और मई में अपेक्षाकृत गर्मी नहीं पड़ी है, लेकिन मौसम विज्ञानी नौतपा (25 मई से दो जून तक का समय) में भीषण गर्मी पड़ने की संभावना जता रहे हैं। इसका कारण नौतपा के समय मौसम शुष्क बने रहने की संभावना को बताया जा रहा है।

अमूमन गर्मी के सीजन में अप्रैल-मई में ही सर्वाधिक गर्मी पड़ती है। लेकिन, इस बार अप्रैल के बाद मई में भी कई प्रदेशों में गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने से इस पर असर पड़ा है। मौसम विज्ञानी पीके साहा ने बताया कि इस वर्ष फरवरी से ही पश्चिमी विक्षोभ के आने का सिलसिला लगातार बना हुआ है। कम ऊंचाई पर आ रहे पश्चिमी विक्षोभ से बौछारें पड़ने का दौर जारी रहा।

मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि अरब सागर में चक्रवाती तूफान ताक्टे उठा है। इसके 16 मई को गुजरात के तट से टकराने के बाद मप्र में कई स्थानों पर बारिश होगी। तूफान का असर 22 मई तक बना रह सकता है। इसके बाद मौसम शुष्क हो जाएगा। इससे अधिकतम तापमान में तेजी से बढ़ोतरी होने के आसार हैं।

अजय शुक्ला ने बताया कि नौतपा के समय दिन बड़े होते हैं। इस वजह से देर तक सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी को मिलती है। इस समय देश में सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। साथ ही उसकी किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़ती हैं। इस वजह से तापमान तेजी से बढ़ता है।

कहा जाता है कि नौतपा में बारिश होने पर मानसून कमजोर हो जाता है। मौसम विज्ञानी इससे इत्तेफाक नहीं रखते। अजय शुक्ला का कहना है कि बेहतर मानसून के लिए तापमान का बढ़ा रहना भी एक फैक्टर है, लेकिन सिर्फ नौतपा से उसकी तुलना करना गलत है। वर्ष-2013 और 2020 में नौतपा में अपेक्षाकृत गर्मी नहीं पड़ी थी, लेकिन पूरे मप्र में सामान्य से काफी अधिक बारिश हुई थी।

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