लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लखनऊ के गोमतीनगर क्षेत्र में सोमवार तड़के पुलिस अभिरक्षा से भाग रहे शार्प शूटर को मार गिराया गया। पुलिस आयुक्त डी के ठाकुर ने बताया कि मारा गया बदमाश गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डाक्टर मऊ के हिस्ट्रीशीटर अजीत सिंह की हत्या का आरोपी था जिसे पुलिस ने तीन दिन की रिमांड पर लिया था। पुलिस पार्टी उसे असलहा बरामदगी के लिये ले जा रही थी कि सहारा अस्पताल के पीछे खरगापुर क्रासिंग के पास उसने पुलिस कर्मियों के हथियार छीनकर हमला कर दिया। भागने की कोशिश के दौरान जवाबी कार्रवाई में वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
बदमाश को राम मनोहर लोहिया अस्पताल के ट्रामा सेंटर में ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी। मारा गया बदमाश मुकदमा संख्या 15.21 आईपीसी की धारा 302,307,120बी और 34 के तहत निरूद्ध था। पुलिस कार्रवाई के दौरान बदमाश के हमले में उप निरीक्षक अनिल सिंह दाहिने बाजू पर गोली लगने से मामूली रूप से चुटहिल हुये जबकि पुलिस निरीक्षक सईद उस्मानी की नाक पर चोट लगी है। एक अन्य पुलिसकर्मी भी बुलेटप्रूफ जैकेट पहने रहने की वजह से बदमाश के हमले से बाल बाल बच गया। गिरधारी ने गोमतीनगर के विभूतिखंड में पिछली छह जनवरी को हिस्ट्रीशीटर अजीत सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी थी।
बाद में उसने 11 जनवरी को दिल्ली की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। पुलिस ने पूछताछ के लिए उसे 13 फरवरी को तीन दिन की रिमांड पर लिया था जबकि आज उसकी रिमाण्ड खत्म हो रही थी। विभूतिखंड और वाराणसी पुलिस ने गिरधारी से कल रात कई घंटे उससे पूछताछ की थी जिसमें उसे कुंटू सिंह और सफेदपोश के कनेक्शन का ब्योरा मिला था। ठाकुर ने बताया कि खरगापुर क्रासिंग के पास देर रात करीब ढाई बजे पुलिस पार्टी असलहा बरामदगी के लिये उसे पुलिस वाहन से उतार रही थी कि उसने पुलिस उप निरीक्षक अख्तर सईद उस्मानी की नाक पर सिर से जोरदार प्रहार किया जिसमें वह चोटिल होकर गिर गये और बदमाश ने उनका सरकारी रिवाल्वर ले लिया और पुलिस पार्टी पर फायर कर झाड़ी की तरफ भागा।
बदमाश के फायर से गोली अनिल सिंह के दायें बाजू से छूती हुयी निकल गयी। पुलिस ने अभियुक्त को घेर लिया और 112 पर मुठभेड़ की सूचना दी जिस पर पुलिस उपायुक्त पूर्वी भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गये और बदमाश को आत्मसमर्पण की चेतावनी दी मगर बदमाश ने पुलिस पर फायर कर दिया। जवाबी कार्रवाई में अभियुक्त घायल होकर गिर गया। घायल को राम मनोहर लोहिया ट्रामा सेंटर ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। गौरतलब है कि दिल्ली में गिरधारी की गिरफ्तारी के बाद वाराणसी पुलिस दिल्ली गई थी लेकिन उसे रिमांड नहीं मिली थी। लखनऊ की तरह ही गिरधारी वाराणसी अदालत में भी नहीं गया था और वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए उसने अगली तारीख ले ली थी। इस बदमाश के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज थे। इस हत्याकांड में शूटर रविदेव, मुस्तफा, अंकुर, राजेश तोमर और मददगार विपुल अभी फरार चल रहे हैं।