भिण्ड जिले में नवजात कन्याओं और भ्रूण हत्याओं का सिलसिला अभी थमा नहीं है। एक ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेटियों की जन्म दर में बृद्धि और उनकी शिक्षा-दीक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिये शासकीय खजाने से करोडों रुपये पानी की तरह बहा रहे है। यहां तक कि इन बेटियों के ब्याह की भी जिम्मेदारी उन्होंने सरकार के कंघों पर डाल दी है। फिर भी भिण्ड में बालिकाओं को मारने का क्रम नहीं थम रहा है।
भिण्ड जिले के गोहद विकास खण्ड के इटायदा गांव में जून 2010 से लेकर मर्इ 2011 तक एक साल में 32 बालकों और 12 कन्याओं ने गोहद के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जन्म लिया था। लेकिन 32 बालक जीवित और पूरी तरह स्वस्थ है। जबकि 12 बालिकाओं में एक भी बालिका जीवित नहीं है। ये सभी बालिकाओं की मौत जन्म के 24 घण्टे में ही हो गर्इ।
गोहद के महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी आरके दीक्षित ने आज यहां बताया कि इटायदा गांव सेक्टर-2 की आंगनबाडी कार्यकर्ता ऊषा गुर्जर ने पर्यवेक्षक शकुन्तला गुप्ता को लिखित में यह जानकारी उपलब्ध करायी है कि इटायदा गांव में 12 लडकियों की मौतें हो गर्इ जबकि 32 बालक जीवित है। इसकी जाच करार्इ जा रही है। आरके दीक्षित ने बताया कि ये अस्पताल में जन्में बालक बालिकाओं की जानकारी है लेकिन गांव में ही जन्मी बालिकाओं की जानकारी एकत्रित की जा रही है।
1- 12 अगस्त 2010 छुटकी पुत्री धर्मेन्द गुर्जर जन्म के दूसरे दिन मौत कारण अज्ञात
2- 28 अगस्त 2010 पिंकी पुत्री बब्बूराज गुर्जर जन्म के दूसरे दिन मौत कारण अज्ञात
3- 12 जून 2010 रानी पुत्री छोटेलाल बघेल जन्म के बाद मौत कारण अज्ञात
4- 8 अगस्त 2010 राखी पुत्री शिशुपाल गुर्जर जन्म के बाद मौत कारण अज्ञात
5- 22 अगस्त 2010 जीनत पुत्री निसार खां जन्म के दूसरे दिन मौत कारण अज्ञात
6- 30 सितम्बर 2010 सोनम पुत्री गिर्राज गुर्जर जन्म के बाद मौत कारण कमजोरी
7- 3 अक्टूवर 2010 गुडडी पुत्री लोकेन्द गुर्जर जन्म के बाद मौत कारण बुखार
8- 2 दिसम्बर 2010 पिंकी पुत्री हरेन्द गुर्जर जन्म के बाद मौत कारण अज्ञात
9- 17 दिसम्बर 2010 लाडो पुत्री बंटी गुर्जर दूसरे दिन मौत कारण अज्ञात
10- 25 मार्च 2011 बार्इ पुत्री अजय गुर्जर दूसरे दिन मौत कारण बुखार
11- 11 अप्रैल 2011 गुडिया पुत्री अरुण गुर्जर जन्म के दूसरे दिन मौत कारण पीलिया
12- 23 मर्इ 2011 खुशी पुत्री बंटी गुर्जर जन्म के तीसरे दिन मौत कारण बुखार
गोहद क्षेत्र में इटायदा, गुमारा, पिपाहाडा, डांक छेंकुरी, गुमारो, रनूपुरा, कनाथर, कैरोरा, कैमोखरी खरौआ गांव ऐसे है जहां लडकियों की संख्या बहुत ही कम है। खरौआ गांव के सरपंच रामअखितयार सिंह गुर्जर ने बताया कि शासन प्रशासन बेटी बचाओं अभियान कागजों में चला रहा है महिला बाल विकास विभाग और आंगनबाडी कार्यकर्ताओं पर गर्भवती महिलाओं की सही जानकारी तक उपलब्ध नहीं है। अगर भ्रूण हत्या की जानकारी प्रशासन तक पहुचार्इ जाये तो वे भी मामले को गम्भीरता से नहीं लेते है। यहीं कारण है कि भिण्ड जिले में भ्रूण हत्याओं का सिलसिला आज भी जारी है।े