इंदौर। इंदौर में कोरोना के बीच अब ब्लैक फंगस ने मुसीबत बढ़ा दी है। हर रोज 10 नए मरीज मिल रहे हैं। अब तक सभी अस्पतालों में करीब 200 मरीज सामने आ चुके हैं। ब्लैक फंगस के लिए लगने वाले एम्फोसिटिरिन-बी, पोसाकोनाजोल, आईसेबुकोनाजोल इंजेक्शन बाजार में शॉर्टेज हैं। परिजन तलाश में अन्य शहरों की ओर रुख कर रहे हैं।
ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ने पर सरकार ने इसके कच्चे माल के निर्यात पर राेक लगा दी। इसके बाद देशभर की फार्मा कंपनियों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके संबंध में दो दिन पहले सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर मनीष सिंह और 6 प्रमुख दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों, डॉक्टराें, सीएंडएफ, होलसेल और रिटेल केमिस्ट की आपात बैठक बुलाई गई थी।
डॉक्टरों ने चर्चा में बताया कि ब्लैक फंगस के मरीज प्रतिदिन 8-10 बढ़ रहे हैं। ऐसे में प्रतिदिन 800 से 1000 इंजेक्शन की खपत भी बढ़ती जा रही है। आगामी दिनों यह जरूरत प्रतिदिन के हिसाब से 1500 से बढ़कर 2500 तक पहुंच सकती है।
डॉक्टर्स की मानें तो यह इंजेक्शन 5 से 8 हजार रुपए तक में मिलता है और एक मरीज को रोज 4 से 5 वायल लगते हैं। ऐसे में इंजेक्शन का ही रोज का खर्च 35 से 40 हजार है। एक मरीज को कम से कम 7 दिन इंजेक्शन लगाना पड़ता है। इसके आगे भी इंफेक्शन को देखते हुए इंजेक्शन लगते हैं। इंजेक्शन के साथ सर्जरी भी जरूरी है। फंगस के मरीजों को चिह्नित करने के लिए प्रशासन ने 20 लोगों की टीम तैनात की है, यह कोरोना से ठीक होने वाले लोगों पर नजर रखेगी।
जानिए ब्लैक फंगस के बारे में
- ब्लैक फंगस कोरोना की तरह संक्रामक नहीं है।
- कोविड में मृत्युदर 1 से 2% होती है, लेकिन ब्लैक फंगस में 55 फीसदी है।
- समय पर इलाज न मिले तो ना सिर्फ आंख जा सकती है, बल्कि मौत भी हो सकती है।
- इंजेक्शन के साथ मरीज की सर्जरी भी करना जरूरी होता है।
- मरीज शुरुआत में ही आ जाए तब भी कम से कम तो 7 दिन इंजेक्शन लगते ही हैं।