भोपाल। महज शक की बिना पर जब रिश्ते तार-तार हो रहे हों, ऐसे दौर में यदि शादी के बाद पता चले कि पत्नी से दुष्कर्म हुआ है तो पति का असहज होना स्वाभाविक माना जा सकता है। लेकिन, उसने बगैर किसी शिकवा-शिकायत के जीवन संगिनी को ना सिर्फ न्याय दिलाने का निर्णय लिया, बल्कि पत्नी को भी उसके साथ हुए अन्याय के विरुद्ध आगे आने की हिम्मत दी।

यह कहानी है भोपाल के साईं विकलांग एवं अनाथ सेवा आश्रम की दुष्कर्म पीड़िताओं में से एक पीड़िता की। 24 वर्षीय इस युवती का ना सिर्फ आश्रम संचालक 70 वर्षीय एमपी अवस्थी ने स्वयं यौन शोषण किया बल्कि अपने परिचितों को भी इसमें शामिल किया। युवती ने फरवरी 2018 में शादी होने के बाद अपना धर्म निभाते हुए पति से अपनी पिछली जिंदगी की हकीकत को साझा किया, तो पति ने भी अपना धर्म निभाते हुए आरोपितों का काला चेहरा सामने लाने की ठान ली।

पत्नी का कोई कसूर नहीं, दरिंदों के सामने बेबस थी

मूक बधिर दुष्कर्म पीड़िता का पति भोपाल में एक निजी कंपनी में नौकरी करता है। उसे 8 हजार वेतन मिलता है। साइन लेंग्वेज एक्सपर्ट श्रद्धा शुक्ला की मदद से उसने नवदुनिया को बताया कि फरवरी 2018 में धूमधाम से दोनों की शादी हुई थी। शादी के बाद पत्नी ने बताया कि उसके साथ आश्रम में साल 2004 से 2016 तक आश्रम संचालक एमपी अवस्थी, आश्रम में आने जाने वाले परिचित व उसके रिश्तेदार दुष्कर्म करते रहे।

शुरू में उसने विरोध किया तो उसके साथ जमकर मारपीट की (पीड़ित पत्नी के बाएं हाथ में चोट के निशान दिखाते हुए)। मैंने पूरी घटना सुनी और समझी। इसके बाद परिवार के सदस्यों को बताई। हम सभी ने तय किया है कि आरोपितों को सजा दिलाने तक चुप नहीं बैठेंगे।

न्याय के लिए पत्नी के हर कदम में दूंगा साथ

पीड़िता 14 सितंबर को पांच अन्य पीड़ित व सहयोग करने वाले मूक बधिरों के साथ भोपाल के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग पहुंची थी। तब उसका पति भी उसके साथ आया था। वह पूरे दिन पत्नी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा।

शुक्रवार रात में भी टीटी नगर थाने में पत्नी को अकेला नहीं छोड़ा, शनिवार जब पुलिस ने दोबारा बुलाया तो वह फिर पत्नी को लेकर थाने पहुंच गया। उसका कहना है कि वह पत्नी के साथ है, आगे भी पत्नी के हर कदम पर साथ रहेगा और न्याय दिलाएगा।

सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से हुई दोनों की शादी

मूक बधिरों के साथ दुष्कर्म करने का आरोपित एमपी अवस्थी का पूर्व में होशंगाबाद के मालाखेड़ी में आश्रम था। तब पीड़िता वहीं रहती थी। इस दौरान आश्रम में कई सामाजिक कार्यकर्ता नि:शुल्क भोजन बांटने के लिए जाते थे। तब पीड़िता एक कार्यकर्ता के संपर्क में आई थी।

उसे अपने साथ हुए दुष्कर्म की जानकारी भी दी थी। इसके बाद पीड़िता को आश्रम से निकलवाने में सामाजिक कार्यकर्ता ने मदद की। शादी के लिए भोपाल में लड़का भी उसी ने ढूंढा और इस तरह दोनों की शादी हुई। पीड़िता का पति भी मूक-बधिर है, जो पत्नी को होशंगाबाद के एक कॉलेज में पढ़ा रहा है। पीड़िता बीए थर्ड ईयर की छात्रा है।

पीड़िता के पति व परिवार ने दी शक्ति

पीड़िता के पति और परिवार (पीड़िता के ससुराल पक्ष के सदस्य) ने अन्याय के खिलाफ लड़ने की शक्ति दी। सभी नि:संकोच होकर साथ दे रहे हैं। खासकर उसके पति को देखकर बाकी की युवती व युवक साहस के साथ खड़े हैं। इसी का नतीजा है कि दुष्कर्म करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराने में सफल हुए।

– श्रद्धा शुक्ला, साइन लेंग्वेज एक्सपर्ट व पीड़ितों को मदद करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता

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