नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली की आवासीय इकाइयों को डी-सील करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण चिंता का विषय है लेकिन अनाधिकृत निर्माणों की पहचान करने और आवासीय संपत्तियों का दुरुपयोग रोकने के लिए 2006 में गठित निगरानी समिति अपने अधिकारों को लांघ कर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है.
कोर्ट ने कहा है कि कमेटी को केवल कॉमर्शियल कारणों के लिए आवासीय संपत्तियों के दुरुपयोग की जांच के लिए नियुक्त किया गया था लेकिन इसमें वैधानिक शक्तियां शामिल नहीं हो सकती थीं, क्योंकि अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया था.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि किसी भी अवसर पर सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी समिति को कॉमर्शियल काम के लिये इस्तेमाल नहीं हो रहे रिहायशी परिसरों के मामले में कार्रवाई करने का अधिकार नहीं दिया.
पीठ ने कहा कि निजी भूमि पर बने रिहायशी परिसरों के मामलों में कार्रवाई करने के लिये उसे अधिकृत नहीं किया गया था. कोर्ट ने अपने फैसले में निजी भूमि पर बने उन रिहाइशी परिसरों को सील करने के बारे में निगरानी समिति के अधिकार के बारे में यह टिप्पणी की जिनका इस्तेमाल व्यावसायिक कार्यों के लिए नहीं किया जा रहा है.
पीठ ने कहा कि निगरानी समिति के लिये कानूनी अधिकार हड़पना और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसे सौंपे गये अधिकारों से बाहर जाकर कार्रवाई करना उचित नहीं होगा. दिल्ली के वसंत कुंज और रजोकरी इलाकों में कथित रूप से अनाधिकृत निर्माण के बारे में निगरानी समिति की पिछले साल अप्रैल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा की समिति व्यावसायिक कार्यों के लिये दुरूपयोग नहीं किये जा रहे रिहाइशी परिसरों को न तो सील कर सकती थी और न ही उन्हें गिराने का निर्देश दे सकती थी.
पीठ ने अपने 70 पृष्ठ के फैसले में कहा, ”कोई संदेह नहीं कि अतिक्रमण चिंता का मामला है लेकिन निगरानी समिति उसे सौंपे गए अधिकारों के दायरे में ही काम कर सकती है जिसके लिये न्यायालय ने उसकी नियुक्ति की है. वह अपने अधिकारों से बाहर जाकर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है.”
पीठ ने कहा कि निगरानी समिति की नियुक्ति न्यायालय ने की थी और न्यायालय ने ही उसे दिये गये अधिकारों के दायरे में ही कार्रवाई करने के लिये अधिकृत किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि निगरानी समिति को सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों के मामले पर भी ध्यान देना चाहिए.
दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने निगरानी समिति के कार्य क्षेत्र को सीमित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से रिहायशी परिसरों के मकान मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी. इस आदेश के बाद दिल्ली में निजी भूमि पर बने सभी मकान, जिनको अवैध निर्माण बता कर निगरानी समिति ने सील कर दिया था, उनके सील खुलने का रास्ता खुल गया है.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि रिहायशी मकानों का निर्माण वैध है या अवैध यह देखना निगरानी समिति का काम नहीं है. अगले तीन दिनों में सभी सील रिहायशी मकानों को डी-सील करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.