भोपाल। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए भोपाल में चले रहे मंथन में आज प्रशासनिक सुधार पर फोकस रहा। विशेषज्ञों ने जनता तक सरकारी योजनाओं और कानून और न्याय की पहुंच कैसे सुलभ हो इस पर अपने विचार रखे। इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हर नागरिक के जीवन में संतुष्टि और आनंद का स्तर तेजी से बढ़े, इसमें सुशासन की भूमिका सबसे अधिक मानता हूं। मुझे लगता है कि आज नियम और कानून जनता के लिए हैं जनता नियम कानून के लिए नहीं है। यह संदेश जाना चाहिए कि सरकार आम आदमी के लिए है।
सीएम चौहान ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए आयोजित वेबिनार के दूसरे दिन कहा कि टारगेट तय करना पर्याप्त नहीं है बल्कि उसकी मानीटरिंग करना उससे भी जरूरी काम है। आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का काम करना है। कोरोना काल न होता तो हम एक साथ बैठकर चर्चा कर रहे होते लेकिन इसके बाद भी स्थिति खराब नहीं हुई है।
बिना कहीं आए गए और किसी दिक्कत के हम विचार कर रहे हैंं। हमारे वनोपज, हथकरघा, संस्कृति, पर्यटन, पारंपरिक कला, खनिज समेत अन्य उपलब्धियां हमारे पास हैं जिनका उपयोग कर आगे बढ़ा जा सकता है। सड़क, बिजली, अधोसंरचना विकास, सिंचाई योजनाओं समेत अन्य कामों में सुशासन जरूरी है। उन्होंने कहा कि पहली बार सीएम बना तो पता चला कि सिर्फ योजना बनाने से काम नहीं चलेगा क्योंकि सालों से शिलान्यास के पत्थर गड़े थे पर काम पूरे नहीं हो रहे थे। इसलिए हर विभाग के फिजिकल टारगेट किए और हर तीन माह में समीक्षा की व्यवस्था तय की गई।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सीएम मानिट सिस्टम पर हम काम कर रहे हैं। पहले बजट की बंदरबांट हो जाती थी जिसे रोकने का काम किया है। सीएम ने कहा कि आज जो सुझाव आएंगे उसे व्यवहारिक रूप में लागू करेंगे। सीएम चौहान ने कहा कि सुशासन लोकोन्मुखी हो, लोक सेवाओं का प्रभावी प्रदाय, पारदर्शी और उत्तरदायी प्रशासन हो। नियमों और कानूनों का सरलीकरण, नीतियों के निर्माण में जनसहभागिता, सरकारी खरीदी में पारदर्शिता लाकर इसमें होने वाली गड़बड़ी को रोकना, भ्रष्ट आचरण पर रोक के लिए सिस्टम बनाना हमारी जिम्मेदारी है। ईज आफ लाइफ सुशासन का ध्येय होना चाहिए। आज चार अलग-अलग ग्रुप में एक्सपर्ट्स और अफसरों की कमेटी मंथन कर सुझाव तैयार करेगी। इस मंथन में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे भी शामिल हो रहे हैं।