भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को साकार करने के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आयोजित की गई 4 दिवसीय वैबिनार में महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं। इन सुझावों को शामिल कर रोडमैप को अंतिम रूप देने के लिए प्रदेश के मंत्रियों के समूह गठित किए जा रहे हैं। मंत्री समूह अपना ड्राफ्ट 25 अगस्त तक प्रस्तुत कर देंगे। इस ड्राफ्ट पर नीति आयोग के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श उपरांत 31 अगस्त तक आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप को अंतिम रूप दे दिया जाएगा तथा एक सितम्बर से इसे आगामी 3 वर्ष के लक्ष्य के साथ प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भौतिक अधोसंरचना समूह में गोपाल भार्गव एवं अन्य मंत्रीगण होंगे तथा इसके समन्वयक अधिकारी आईसीपी केशरी होंगे। सुशसन समूह में मंत्री नरोत्तम मिश्र एवं अन्य मंत्रीगण होंगे तथा इसके समन्वयक अधिकारी एस.एन मिश्रा होंगे। शिक्षा एवं स्वास्थ्य समूह में मंत्री विश्वास सारंग एवं अन्य मंत्री होंगे तथा इसके समन्वयक अधिकारी मोहम्मद सुलेमान होंगे। इसी प्रकार अर्थव्यवस्था एवं रोजगार समूह में मंत्री जगदीश देवड़ा एवं अन्य मंत्रीगण होंगे तथा उसके समन्वयक अधिकारी डॉ. राजेश राजौरा होंगे। मुख्यमंत्री चौहान 4 दिवसीय वैबिनार के समापन सत्र को संबेधित कर रहे थे।
देशी चिकित्सा को बढ़ावा संस्कार और रोजगार देने वाली शिक्षा
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में देशी चिकित्सा पद्धति, आयुष, आदिवासी चिकित्सा पद्धति, योग आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं हमारी शिक्षा, संस्कार और रोजगार देने वाली होगी। हमें पश्चिम का अंधानुकरण नहीं करना है। 6वीं कक्षा से ही व्यावसायिक शिक्षा को लागू किया जाएगा। परंपरागत ज्ञान को अभिलेखित किया जाएगा, सर्वसुविधायुक्त स्कूलों को प्रोत्साहित करेंगे। प्रतिभा निखारने के लिए ‘प्रखर योजना’ चालू की जाएगी।
पर्यटन को बढ़ावा
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। ‘बफर में सफर’ बहुत अच्छा सुझाव है। धार्मिक पर्यटन के लिए महाकालेश्वर, रामराजा मंदिर, दतिया, मैहर, सलकनपुर आदि का पर्यटन की दृष्टि से विकास किया जाएगा। नर्मदा पथ एवं रामवन गमन पथ को विकसित किया जाएगा।
एक जिला एक पहचान
प्रदेश के प्रत्येक जिले की सर्वश्रेष्ठ पहचान को उजागर करने के लिए कार्य किया जाएगा। ‘लोकल’ को ‘वोकल’ बनाया जाएगा। हर ग्राम हर नगर आत्मनिर्भर हों, ऐसे प्रयास किए जाएंगे। लघु-कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा।
वन नेशन वन मार्केट
किसानों को उनकी उपज का अधिकाधिक मूल्य दिलाने के लिए ‘वन नेशन वन मार्केट’ की अवधारणा पर काम किया जाए। मंडी अधिनियम में किए गए संशोधनों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा। कृषि उत्पादक संघों को सुदृढ़ किया जाएगा। जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। मध्यप्रदेश में क्षमता है कि वह पूरे देश की खाद्य तेल की आवश्यकता को पूरा कर सकता है। इसके लिए खाद्य तेल एवं दालों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।
कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के प्रयास
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश बम्पर कृषि उत्पादन करता है, परन्तु हमारा कृषि निर्यात केवल 0.8 प्रतिशत है। निर्यात बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कोल्ड स्टोरेज तथा अन्य कृषि उत्पाद प्रसंस्करणों को बढ़ावा दिया जाएगा। पशुपालन एवं डेयरी क्षेत्र का भी विकास किया जाएगा।
ग्लोबल पार्क की स्थापना
एम.एस.एम.ई. को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में ग्लोबल पार्क की स्थापना की जाएगी तथा इनसे छोटे शिल्पियों एवं व्यावसाइयों को जोड़ा जाएगा। प्रदेश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के साथ ‘ईज ऑफ लिविंग’ पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा। आम आदमी का जीवन सुविधापूर्ण होना चाहिए।
स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर प्रभावी अमल किया जाएगा। उद्योगों को स्थापित करने की प्रक्रिया को इतना सरल बना दिया जाएगा कि हम किसी भी उद्यमी से कह सकेंगे कि ‘स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज’। एम.एस.एम.ई. को इंटीग्रेट किया जाएगा। मुख्यमंत्री दक्षता सवंर्धन योजना पर कार्य किया जाएगा।
‘आउट ऑफ बजट फंड’ की व्यवस्था
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए ‘आउट ऑफ बजट फंड’ जनरेट करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम बनाई जाएगी, जो इस संबंध में कार्य करेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने वेबिनार में शामिल होने के लिए सभी मंत्रीगणों, विभिन्न विषय-विशेषज्ञों, नीति आयोग के सदस्यों आदि का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कृषि उत्पाद प्रसंस्करण को बढ़ावा देना होगा
नीति आयोग के सी.ई.ओ. अमिताभ कांत ने कहा कि मध्यप्रदेश की एस.जी.डी.पी. में कृषि का 42 प्रतिशत हिस्सा है, परन्तु यहां कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योगों की बहुत कमी है। प्रदेश में कृषि उत्पाद प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जाए। इसके साथ ही प्रदेश में पर्यटन उद्योग एवं ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य
अमिताभ कांत ने कहा कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में संस्थागत प्रसव, टीकाकरण आदि में बहुत अच्छा कार्य हुआ है। प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने का कार्य बेहतर करने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की आवश्यकता पर बल दिया। ये पी.पी.पी. मोड में खोले जा सकते हैं।
पूरी तरह बदल गया है मध्यप्रदेश
विषय-विशेषज्ञ एस. गुरूमूर्ति ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश पूरी तरह बदल गया है। अब यह बीमारू राज्य नहीं बल्कि विकसित और समृद्ध प्रदेश है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी मध्यप्रदेश अग्रणी रहेगा। मध्यप्रदेश में कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है तथा प्रदेश अन्य क्षेत्रों में भी पीछे नहीं है।
चार दिवसीय वेबिनार के समापन सत्र में वन मंत्री विजय शाह, वाणिज्यिक कर, वित्त तथा योजना आर्थिक मंत्री जगदीश देवड़ा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री सुमीना सिंह, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह, सहकारिता, लोक सेवा प्रबंधन मंत्री अरविंद भदौरिया, पर्यटन, संस्कृति तथा आध्यात्म मंत्री श्रीमती ऊषा ठाकुर सहित विषय-विशेषज्ञों ने भाग लिया। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने आभार माना। अपर मुख्य सचिव श्रम राजेश राजौरा ने समूहों के निष्कर्षों का प्रस्तुतीकरण दिया।
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के पाँच मूल मंत्र
सी.एस.आर. (कम्पिटीटिवनैस, सस्टेनेबिलिटी एवं रैज़िलियंस)
‘सबके के लिए पढ़ाई, सबके लिए कमाई’
‘एक जिला एक पहचान’
‘जॉब इन एग्री टू जॉब अराउण्ड एग्री’
‘लोकल फॉर वोकल’
कृषि तथा संबंधित क्षेत्र के प्रमुख बिन्दु
जिलावार कृषि तथा उद्यानिकी उत्पादों को प्रोत्साहन तथा ब्रांडिंग की व्यवस्था।
‘जॉब इन एग्री’ तथा ‘जॉब एराउन्ड एग्री’ की अवधारणा पर रोजगार के अवसरों को प्रोत्साहन।
खाद्य तेल तथा दालों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तिलहन तथा दलहन को प्रोत्साहन।
बीज की नई किस्मों और नई तकनीक के माध्यम से कृषि उत्पादन बढ़ाने की नीति।
उद्यानिकी उत्पादों के मार्केट लिंक का विकास।
आदिवासी क्षेत्रों में कृषि उत्पादन बढ़ाने की रणनीति।
कृषि भूमि की जियो टैगिंग तथा इसे राजस्व रिकार्ड से संबंद्ध करने की व्यवस्था।
कृषि वानिकी को प्रोत्साहन।
कृषि तथा उद्यानिकी उत्पादन के अनुपात में कोल्ड स्टोरेज क्षमता, पैक हाऊस, राईपिनिंग चैम्बर तथा रैफ्रीजेरेटेड वाहनों की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
सिंचाई व्यवस्था में आई.टी. का उपयोग सुनिश्चित करना।
कृषि तथा उद्यानिकी के स्थानीय उत्पादों की जी.आई. टैगिंग।
‘वन नेशन-वन मार्केट’ के लिए निजी मार्केट यार्ड तथा बिक्री केन्द्र खोलना।
कॉमन प्रोसेसिंग केन्द्रों का विकास।
कृषक डाटा का डिजिटलाईजेशन।
आर्गेनिक कृषि उत्पादों की पहचान के लिए प्रोटोकॉल का विकास।
उद्योग तथा कौशल उन्नयन के प्रमुख बिन्दु
इलेक्ट्रिक वाहन, रक्षा, मेडिकल उपकरण जैसे नए उभरते क्षेत्रों के लिए नई नीति का निर्धारण।
स्टार्टअप के लिए उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराना।
पूर्व एशियाई देशों की मांग के अनुरूप इण्डस्ट्रियल टाउनशिप का विकास।
अन्य राज्यों की तुलना में ऊर्जा की दरों का युक्तियुक्तकरण।
लघु तथा कुटीर उद्योगों में तकनीक उन्नयन के लिए योजना क्रियान्वयन।
कृषि क्षेत्र में कार्पोरेट निवेश को प्रोत्साहन।
राज्य में निर्माण इकाईयों को प्रोत्साहित करने के लिए नीति।
सिंगरौली तथा इंदौर में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क।
इंदौर में एयर कार्गो टर्मिनल की क्षमता वृद्धि तथा भोपाल व ग्वालियर में एयर कार्गो टर्मिनल का निर्माण।
समर्पित कॉरीडोर का विकास तथा इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन क्रियान्वयन को गति।
शोध को प्रोत्साहन। आई.आई.टी., आई.आई.एम. जैसी राष्ट्रीय संस्थाओं से उद्योग तथा अकादमिक क्षेत्रों में सहयोग।
सिंगल विण्डो क्लीयरेंस सिस्टम।
वानिकी क्षेत्र
महाकौशल और मालवा क्षेत्र में इमारती लकड़ी तथा बाँस के लिए संपूर्ण प्रोसेसिंग चेन सहित विशेष एस.ई.जेड. की स्थापना।
बाँस तथा इमारती लकड़ी के उत्पादन में निजी पूँजी निवेश।
लघु वनोपज के आर्गेनिंग प्रमाणीकरण के लिए प्रोटोकॉल का विकास।
नौरादेही, सतपुड़ा, गांधी सागर और संजय नेशनल पार्क में टाइगर डैनसिटी बढ़ाना।
व्यापार तथा वाणिज्य क्षेत्र
‘मध्यप्रदेश एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल’ की स्थापना।
ई-कॉमर्स के लिए टास्क फोर्स का गठन एवं उसे प्रोत्साहित करने के लिए विशेष पाठ्यक्रम।
‘लोकल इन्वेस्टमेंट नेटवर्क’ और ‘मेंटर नेटवर्क’।
निजी सुरक्षा सेवाओं की लायसेंसिंग प्रक्रिया का सरलीकरण।