आईएसआई के पूर्व प्रमुख असद दुर्रानी का कहना है कि मुम्बई हमले के षडयंत्रकर्ता और प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दवा के प्रमुख हाफिज सईद पर मुकदमा चलाने की कीमत बहुत बड़ी है.

उन्होंने कहा, ‘यदि आप सईद पर मुकदमा चलाते हैं तो पहली प्रतिक्रिया होगी: यह भारत की ओर से है, आप उसे परेशान कर रहे हैं, वह निर्दोष है, आदि-आदि. इसकी राजनीतिक कीमत बहुत बड़ी है.’

दुर्रानी ने एक नयी किताब लिखी है जिसमें उनकी पूर्व रॉ प्रमुख ए एस दुलत के साथ बाचतीत है. दोनों भारत-पाकिस्तान संबधों में हर विषय पर चर्चा करते हैं जिनमें सर्जिकल स्ट्राइक, कुलभूषण जाधव, नवाज शरीफ, कश्मीर और बुरहान वानी आदि शामिल हैं.

इसमें जब दुलत पूछते हैं कि पाकिस्तान के लिए सईद का क्या महत्व है, तो दुर्रानी जवाब देते हैं, ‘उस पर मुकदमा चलाने की कीमत बहुत बड़ी है.’ सईद पिछले साल जनवरी से नवंबर तक नजरबंद रहा था. उस पर आतंकवादी गतिविधियों में उसकी भूमिका को लेकर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है.

विवाद की हवा निकालने के लिए हाफिज को किया नजरबंद

समझा जाता है कि जमात उद दावा प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा का प्रमुख संगठन है और वही 2008 के मुम्बई हमले के लिए जिम्मेदार है. इस हमले में 6 अमेरिकियों समेत 166 लोगों की जान चली गयी थी. मुम्बई हमले के बाद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने सईद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. उसे नवंबर, 2008 में नजरबंद किया गया था लेकिन कुछ ही महीने बाद अदालत ने उसे रिहा कर दिया था.

दुर्रानी ने सईद को हिरासत में लेने के बारे में लिखा है, ‘उसे अदालतों में ले जाया जाता था, लेकिन उनके पास उसके खिलाफ (नया) कुछ नहीं होता था. अब भी संभव है कि विवाद की हवा निकालने के लिए उसे हिरासत में लिया जाए. 6 महीने में वह बाहर आ सकता है.’ हार्पर कॉलिंस इंडिया द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में दुलत और दुर्रानी की आदित्य सिन्हा से बातचीत हुई है.

क्या हाफिज की नजरबंदी नाटक थी?

जब दुलत ने पूछा कि सईद की नजरबंदी बस एक नाटक था तो दुर्रानी ने कहा, ‘जहां तक हाफिज सईद की बात है तो नई बात यह है कि (क्या) और सबूत उपलब्ध है? कोई भी उम्मीद लगा सकता है कि हाफिज सईद के साथ समझौता है.’

जब उनसे पूछा गया कि क्या सईद की नजरबंदी का भारत पाकिस्तान संबंधों पर कोई सकारात्मक परिणाम है, तो उन्होंने कहा, ‘फिलहाल भारत पाकिस्तान संबंध मोर्च पर बहुत ही कम सकारात्मक चीजें हैं. लेकिन इससे उस देश को एक बड़ी राहत मिल सकती है जो लगातार दबाव में है.’

सेना ने दुर्रानी पर आचार संहिता का उल्लंघन का आरोप लगाया

इस बीच, पाकिस्तान की प्रभावशाली सेना ने दुर्रानी पर सैन्य आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है और उन्हें उनकी पुस्तक ‘द स्पाई क्रोनिकल्स: रॉ, आईएसआई एंड इल्यूजन ऑफ पीस’ को लेकर स्पष्टीकरण के लिए कल तलब किया है.

दुर्रानी पुस्तक में जिक्र करते हैं कि मुम्बई एक मात्र ऐसी घटना रही है जिसमें उन्होंने फैसला किया कि वह यह कहने के लिए किसी भी भारतीय और पाकिस्तान चैनल के सामने उपलब्ध होंगे कि जिस किसी ने यह हरकत की है, चाहे राज्य प्रायोजित हो, या आईएसआई प्रायोजित या सेना प्रायोजित, उसे पकड़ा जाना चाहिए और दंडित किया जाना चाहिए.

हेडली ने हमारे लिए खड़ी की मुश्किल

उन्होंने कहा, ‘बात बस यह नहीं है कि 168 लोग मरे थे, चार दिनों तक नरसंहार चला, आदि आदि. उस समय पाकिस्तान अपनी पूर्वी सीमा पर युद्ध की जहमत नहीं उठा सकता था. पश्चिम में और देश में ढेरों समस्याएं थीं. मैं नहीं जानता कि किसने यह किया, लेकिन कुछ सवाल थे जैसे डेविड हेडली ने एक आईएसआई मेजर का नाम लिया. उससे हमारे लिए मुश्किल खड़ी हो गयी.’

इस खबर पर कि हेडली ने सईद के साथ साठगांठ की तो उन्होंने कहा कि लोग आगे बढ़ कर जांच कर सकते हैं क्योंकि इस तरह की खबरें आयी हैं. उन्होंने कहा, ‘8 सालों तक, हम दोनों ने संयुक्त जांच, संयुक्त सुनवाई, खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान और आतंकवाद निरोधक प्रणाली पर सहमति की बस इस कारण वकालत की कि हम तब तक कुछ नहीं कर सकते जब तक ऐसा नहीं हो जाता. तब तक, हाफिज सईद, आईएसआई, जैश ए मोहम्मद : यह संभव है कि उनका इससे कोई लेना – देना नहीं हो, कि तीसरी, चौथी या पांचवीं पार्टी शामिल हो.’

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