आचार्य श्री के क़दम विदिशा की ओर बढ़ते हुए.. 🙂
मूक माटी की महक आ रही विदिशा मैं ।।
समग्र प्रवचन की गूँज आ रही विदिशा मैं ।।
एक योगी के क़दमों की आहट आ रही विदिशा मैं ।।
महावीर की छवि आ रही विदिशा मैं ।।
समोशरण की रचना आ रही विदिशा मैं ।।
जिनवाणी की सुंदर वाचना आ रही विदिशा मैं ।।
इंडिया नहीं भारत कहो का नारा अब गूंजेगा विदिशा मैं ।।
मूक प्राणियों की रक्षा की अब बात होगी विदिशा मैं ।।
वीतरागिओं का मेला अब लगेगा विदिशा मैं ।।
कमर कस लो कार्यकर्ताओं अब तुम विदिशा मैं ।।
अब आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज का जयकारा होगा विदिशा मैं