भोपाल ! मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ी सेविकाओं व सहायिकाओं को समेकित बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) के अलावा दूसरे कार्य नहीं करने होंगे। केंद्र सरकार द्वारा चार वर्ष पूर्व जारी किए गए आदेश पर अब राज्य में अमल होता दिख रहा है। राज्य में आंगनवाड़ी केंद्रों में कार्यरत सेविकाओं और सहायिकाओं से उनके मूल कार्य के अलावा अन्य कार्य भी लिए जाते रहे हैं, जिसका असर आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन पर पड़ता है, उनकी गुणवत्तापूर्ण सेवाएं भी प्रभावित होती हैं। महिला-बाल विकास विभाग समय-समय पर निर्देश जारी करता रहा है कि इन सेविकाओं की सेवाएं दूसरे कार्यो में नहीं ली जाएंगी, मगर यह सिलसिला थम नहीं रहा था। इन सेविकाओं की परिवार कल्याण कार्यक्रम में प्रेरक के रूप में, लक्ष्य दंपति सर्वे, अंत्योदय सर्वे, स्वच्छता दूत, शौचालय की गिनती, आयोडीन नमक की जांच, गांव में कुओं की गिनती, उनमें दवा डालने, जनगणना कार्य, चुनाव ड्यूटी, फोटो मतदाता सूची, बूथ-लेवल अधिकारी के कार्य, समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के सर्वे, पशु सर्वे, पशु संगणना आदि में लगाई जाती रही है। सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी कर आंगनवाड़ी सेविकाओं व सहायिकाओं की सेवाएं आईसीडीएस के अलावा अन्य कार्य में न लिए जाने के निर्देश जारी किए हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (भारत सरकार) के सचिव ने एक फरवरी, 2011 के अर्ध-शासकीय पत्र में भी आईसीडीएस अमले से गैर-आईसीडीएस के कार्य नहीं कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में प्रदेश में 80 हजार 160 आंगनवाड़ी केंद्र तथा 12 हजार 70 मिनी आंगनवाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा इन केंद्रों के माध्यम से छह वर्ष तक के बच्चों को पूरक-पोषण आहार देकर सुपोषित करने और शाला पूर्व शिक्षा देने का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। गर्भवती, धात्री माताओं को पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं दी जाती हैं।

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