भोपाल । पिछले ढाई दिनों से कर्नाटक में चल रहा सियासी दांव पेंच काफी उठा पटक के बाद अपने आखिरी परिणाम पर पहुंच चुका है ।जेडीएस और कांग्रेस के गठबन्धन ने सदन के अंदर अपना बहुमत सिद्ध करके सरकार की कमान कुमार स्वामी के हांथों में सौपने की बात भी स्पस्ट कर दी । कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले बीएस येदियुरप्‍पा ने अपने भाषण के दौरान भावुक हो गए. उन्‍होंने कहा कि ‘मैं जब तक जिंदा हूं, किसानों के लिए काम करता रहूंगा. मुझे राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह ने मुख्‍यमंत्री बनाया है. मुझे किसानों को खुदकुशी से बचाना है.’ इसके साथ ही उन्‍होंने कांग्रेस और जेडीएस पर जमकर हमले करते हुए उन पर चुनाव के नतीजे आने के बाद साजिश रचने का आरोप भी लगाया ।इसके साथ ही राज्य की जनता का धन्यवाद करते हुए कहा कि -राज्‍य के हर शख्‍स को पता है कि किस तरह कांगेस-जेडीएस को लोगों ने रिजेक्‍ट किया है. -कर्नाटक की जनता ने हमें चुना. -चुनाव से पहले कांग्रेस जेडीएस अलग-अलग थे, लेकिन चुनाव के बाद दोनों ने एक साथ आने की साजिश रची है.अगर जनादेश की बात की जाए तो कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का उद्देश्य कतई सही नही ठहराया जा सकता चुनावी नतीजों के अनुसार जेडीएस के पास 37 सीटें और कॉंग्रेस के पास 78 सीटें थीं हालांकि दोनों पार्टी बहुमत से कोसो दूर थीं मगर ऐसे में बीजेपी सत्ता की दौड़ में अव्वल होने की वजह से कॉंग्रेस ने जेडीएस के साथ गढबन्धन करने की रणनीतियां तैयार कर ली । मगर बीजेपी को बतौर बड़ी पार्टी होने के नाते जिसमे विजयी 104 विधायकों की संख्या के चलते राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्यौता पहले यदुरप्पा को सौंपा मगर महज ढाई दिनों में ही यह सरकार गिर गयी । जनता ने किसको ठुकराया कर्नाटक में चुनाव के दौरान काफी ऐसे परिणाम देखने को मिले जो एक पल सबको विस्मित कर सकते हैं चुनावी हार की फेहरिस्त में जहां बीजेपी के दिग्गज नाम शामिल हैं वहीं कॉंग्रेस के कई बड़े कद्दावर नेता जो पूर्व में मंत्री पद के प्रभार को सम्हाल चुके हैं उन्हें भी इस बार चुनाव के दौरान बड़े फासले से हार का सामना करना पड़ा ।कर्नाटक विधानसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए. प्रदेश की जनता ने देश की इस सबसे पुरानी और पिछले 5 साल से कर्नाटक में सत्तारूढ़ पार्टी को सरकार बनाने का जनमत नहीं दिया. हां, जनता ने इतने वोट जरूर दे दिए ताकि पार्टी की लाज बची रह सके. कांग्रेस कर्नाटक में विकास को लेकर चाहे लाख दावे कर ले, लेकिन इन परिणामों ने यह भी बता दिया कि बड़ी आबादी पार्टी के काम से खुश नहीं थी. इसीलिए तो खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी सीट से बड़े अंतर से चुनाव हार गए. जिस दूसरी सीट बदामी से वे जीते भी, वहां भी वोटों का अंतर मात्र 1600 ही रहा । वहीं, उनकी कैबिनेट के 20 मंत्रियों ने भी इस चुनाव में अपनी सीट गंवा दी. सीएम समेत उनकी कैबिनेट के आधे से ज्यादा मंत्रियों की यह चुनावी हार, कांग्रेस की लोकप्रियता कम होने का ही प्रमाण है । कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जनता की उपेक्षा झेलने वाली कांग्रेस को यह हार अर्से तक सालती रहेगी. अब इसे ‘मोदी प्रभाव’ कहा जाए या जनता का गुस्सा, पार्टी के कई नेताओं को जनता ने साफ तौर पर नकार दिया. इनमें दो-दो बार के विधायक रहे मंत्रियों को भी नहीं बख्शा गया. पूर्व मंत्री और दो बार विधायक रहे बी. चिंचनसुर को 24 हजार से अधिक वोटों से जनता ने चुनाव में हराया है. वहीं, खनन मंत्री विनय कुलकर्णी को भी 20 हजार से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा सामाजिक न्याय मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले मंत्री एच. अज्ञेय की हार और भी चिंताजनक है. विधानसभा चुनाव के परिणामों के अनुसार उन्हें विपक्षी उम्मीदवार ने 38 हजार 940 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया । पर राजनीतें की शातिर चालें दुर्भाग्य के परिणाम को सफलता के मुकाम तक कैसे पहुंचा देती है इसका उदाहरण देखने को मिला कर्नाटक में की कैसे सत्ता की रेस में सबसे आगे होने के बाद भी बीजेपी अल्पमत होकर पीछे रह गयी औऱ गठ बन्धन की नीतियां सदन के अंदर बहुमत सिद्ध करने में सफल हो गयी।

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