पुराणों के अनुसार त्रिशूल के अतिरिक्त, शिव के पास चार शूल वाला एक और परम शक्तिशाली अस्त्र हैं, जिसे पाशुपतास्त्र कहा गया है। मान्यता हैं कि शिव पाशुपतास्त्र से दैत्यों का संहार करते हैं तथा युग के अंत में इससे सृष्टि का विनाश करेंगे । पाशुपतास्त्र एक प्रकार का ब्रह्मशिर अस्त्र हैं ।वस्तुतः ब्रह्मशिर अस्त्र एक प्रकार का ब्रह्मास्त्र है। सभी ब्रह्मास्त्र ब्रह्मा द्वारा निर्मित अति शक्तिशाली और संहारक अस्त्र हैं। ब्रह्मशिर अस्त्र साधारण ब्रह्मास्त्र से चार गुना शक्तिशाली हैं। साधारण ब्रह्मास्त्र की तुलना आधुनिक परमाणु बम तथा ब्रह्मशिर अस्त्र की तुलना हाइड्रोजन बम से की जा सकती हैं।  पूजा के शुभ फल : विघ्नों का नाश होता है।  स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानियां होंगी दूर  विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है।  उत्पातों का नाश होता हैं। 

  पाशुपतास्त्र एक ऐसा अस्त्र है जो पूरे हिंदू इतिहास में सबसे शक्तिशाली और भयंकर हथियारों में शुमार है  । जो की  भगवान शिव और देवी काली का मुख्य  हथियार माना जाता है।  कहा जाता है की इसे मन, आंखों, शब्दों या धनुष से छोड़ा जाता था । पाशुपतास्त्र की शक्ति ऐसी थी कि इसे कम दुश्मनों या कम योद्धाओं के खिलाफ इस्तेमाल करने से मना किया जाता था।  यह हथियार सभी प्राणियों के लिए अपार नरसंहार करने और उन पर काबू पाने में सक्षम है।  इसलिए सलाह दी जाती है कि पाशुपतास्त्र का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।  यह प्रमुख हथियार पशुपतिनाथ मंदिर का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो नेपाल के काठमांडू में स्थित है।  पशुपतिनाथ मंदिर को दुनिया के सबसे लोकप्रिय शिव मंदिरों में से एक माना जाता है।

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