भोपाल ! शुक्रवार को राय बाल संरक्षण आयोग के सामने ग्वालियर के मुरार ब्लाक के जखारा गांव में संचालित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत किशोरियों के साथ प्रधानाचार्य राजेश उपाध्याय द्वारा कथित रूप से मोबाईल पर अश्लील वीडियों क्लिप दिखाने और अश्लील बातें करने का प्रकरण सामने आया है।
सामाजिक कार्यकर्ता संदेश बंसल ने आयोग के समक्ष कहा, कि फरवरी 2013 को यह मामला प्रकाश में आया था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद गांव वाले हस्तिनापुर थाने में प्रधानाध्यापक के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में नाकाम रहे। श्री बंसल ने कहा, कि कथित आरोपी अवकाश प्राप्त डीएसपी का बेटा है। इसलिए पुलिस उसे बचाने की कोशिश कर रही है। मार्च 2013 में अपर कलेक्टर से गांव वालों ने शिकायत की। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार 8 अप्रेैल 2013 को चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्र के हस्तक्षेप के बाद स्कूल के प्रधानाचार्य राजेश उपाध्याय के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के अन्तर्गत मामला दर्ज हुआ। लेकिन कमजोर धारा के चलते श्री उपाध्याय को बड़ी आसानी से कोर्ट से जमानत मिल गई। जबकि अश्लील हरंकतों के लिए नये कानून में कड़े प्रावधान है, जिससे कथित आरोपी की जमानत तक नहीं हो पाती। आयोग की अध्यक्ष ऊषा चतुर्वेदी ने माना, कि इस मामले में पुलिस ने हीलाहवाली की है। इस तरह की हरकतों के लिए ही कड़े कानून बनाये गये हैं, इस मामले में अपराधी को जमानत नहीं मिलनी चाहिए थी। लेकिन पुलिस आरोपियों को बचाने के लिए इसका उपयोग नहीं करती । आयोग ने इस मामले में ग्वालियर के एसपी को पत्र लिखकर थाना प्रभारी को उपस्थित होने के लिए कहा है। श्रीमती चतुर्वेदी ने कहा, कि आयोग का प्रयास यह है, कि ऐसी घटनाएं न हों । कानून में संशोधन का अधिकार आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। परंतु वे सिफारिश कर सकती है। उन्होंने स्कूल बसों और छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने के लिए स्कूलों में पत्र लिखा है। जिससे बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। आयोग के समक्ष सुनवाई के लिए जबलपुर, ग्वालियर के अलावा भोपाल, सीहोर, रायसेन, शहडोल, कटनी, उमरिया, छतरपुर, सीधी, नीमच, उौन, झाबुआ, इंदौर से कुल 19 मुकदमें थे। इनमें से अधिकतर मामलों में आयोग के नोटिस के बावजूद प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुए।