मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को लेकर अमेरिका ने बड़ा बयान दिया है। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने शुक्रवार को कहा, ‘हम उसे (हाफिज सईद) आतंकवादी तौर पर देखते हैं, जो एक विदेशी आतंकी संगठन का हिस्सा है। वह 2008 में हुए मुंबई हमलों का मस्टरमाइंड है, जिसमें अमेरिकन समेत कई लोग मारे गए थे।’ अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी हाफिज सईद के खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा है। अमेरिका ने यह बात ऐसे समय पर कही है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने टिप्पणी की थी कि सईद के खिलाफ कोई कदम उठाया नहीं जा सकता। अब्बासी ने मंगलवार को एक टीवी चैनल पर प्रसारित एक इंटरव्यू में सईद को ‘साहिब’ कह कर संबोधित किया था। अब्बासी से जब यह पूछा गया कि सईद के खिलाफ कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया, तो इसके जवाब में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘हाफिज सईद साहिब के खिलाफ पाकिस्तान में कोई मामला नहीं है। जब कोई मामला दर्ज हो, तभी कार्रवाई की जा सकती है।’
इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि सईद के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए और उन्होंने पाकिस्तान को इस बारे में बता दिया है। नोर्ट ने कल अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हमारा मानना है कि उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबंध होने के कारण उसे लक्षित प्रतिबंधों के लिए ‘यूएनएससी 1267, अलकायदा प्रतिबंध समिति’ की सूची में शामिल किया गया है।’ हीथर ने कहा, ”हमने पाकिस्तान सरकार के समक्ष पूरी स्पष्टता से अपनी बात और चिंताएं रख दी हैं। हमारा मानना है कि उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।”
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका ने सईद के बारे में अब्बासी की टिप्पणियों वाली खबरें ”निश्चित ही” देखी हैं। हीथर ने कहा, ”हम उसे एक आतंकवादी और एक विदेशी आतंकवादी संगठन का हिस्सा मानते हैं। हमारा मानना है कि वह 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड था। इस हमले में अमेरिकियों समेत कई लोगों की मौत हो गई थी।” जमात उद दावा के प्रमुख सईद को नवंबर में पाकिस्तान में नजरबंदी से रिहा किया गया था। अमेरिका जमात उद दावा (जेयूडी) को लश्कर का सहयोगी मानता है। लश्कर की स्थापना सईद ने वर्ष 1987 में की थी। लश्कर 2008 के मुंबई हमले करने के लिए जिम्मेदार है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। हीथर ने कहा कि ट्रंप प्रशासन उम्मीद करता है कि पाकिस्तान आतंकवादी मामलों से निपटने में अधिक योगदान दे।
उन्होंने कहा, ”हम इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट रहे हैं। आप सभी हमारे द्वारा करीब दो सप्ताह पहले दी गई इस सूचना के बारे में जानते हैं कि हमने पाकिस्तान को सुरक्षा के लिए आर्थिक मदद रोकने का फैसला किया है।” हीथर ने कहा कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंध के मामले पर पूरा प्रशासन एकजुट है। अमेरिका ने इस माह ही शुरूआत में पाकिस्तान को दी जाने वाली दो अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता रोक दी थी और उस पर आतंकवाद के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ सैन्य एवं खुफिया सहयोग रोक दिया था। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कल कहा था कि उसे पाकिस्तान से इस बारे में कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है।
वहीं वाइट हाउस ने गुरुवार को कहा है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के उस बयान का समर्थन करता है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान से 33 अरब डॉलर के बदले केवल ‘झूठ और धोखा’ मिलने की बात कही थी। ट्रंप ने साल के पहले ट्वीट में कहा था, ‘अमेरिका ने पिछले 15 वर्षों में मूर्खों की तरह पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की सहायता राशि दी और उन्होंने हमारे नेताओं को मूर्ख समझते हुए, बदले में हमें झूठ एवं धोखे के अलावा कुछ नहीं दिया। जिन आतंकवादियों को हम अफगानिस्तान में तलाश करते हैं उन्हें उन्होंने सुरक्षित पनाहगाहें दे रखी है। अब और नहीं’
ट्रंप के ट्वीट का समर्थन करने के सवाल पर वाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत के दौराप कहा, ‘हां’। इस ट्वीट के बाद ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब दो अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता पर रोक लगा दी थी। सारा ने सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा, ‘हमारा मानना है कि उस सहायता को रोकना आवश्यक है और इस संबंध में हमारा रुख दृढ़ है।’