अमरकंटक ! मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा को सबसे स्वच्छ नदी और उसके उद्म स्थल अमरकंटक को सबसे स्वच्छ एवं सुविकसित तीर्थस्थल बनाने का आज ऐलान किया। चौहान ने नर्मदा नदी की स्वच्छता के लिए महत्वाकांक्षी नर्मदा सेवा यात्रा के उद्घाटन अवसर पर एक विशाल समारोह को संबोधित करते हुए ये घोषणाएं कीं। चौहान ने नर्मदा को अपनी मां के समान बताते हुए उपस्थित जनसमूह से उसमें शौच नहीं करने और गंदगी से मुक्त रखने का संकल्प भी कराया। समारोह में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी, मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सीताशरण शर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, देश के जाने माने संत महामंडलेश्वर एवं जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरिए परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के चिदानंद सरस्वती, स्वामी शुकदेवानंद, बाबा कल्याण दास, साध्वी प्रज्ञा भारती आदि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा मैया, जल और जीवन देतीं हैं। हमारे आपके कृतज्ञ हैं, लेकिन हमने मल जल डाल कर आपके जल को अशुद्ध किया, रेत उत्खनन कर आपकी छाती छलनी की, आपके पानी की धार पतली और धीमी हुई है। आपके पानी का मैल हमारे पापों की वजह से है। हम आपसे क्षमा प्रार्थना करने आए हैं, माफी मांगने आए हैं। उन्होंने कहा कि यह यात्रा करके हम मैया पर अहसान नहीं कर रहे हैं। मैया हम पर कृपा करेंगी।
यह यात्रा कोई कर्मकांड नहीं होगी। समाज इसकी अगुवाई करेगा और सरकार पीछे से सहयोग करेगी। चौहान ने बताया कि 144 दिन की यात्रा में नदी किनारे पीपल, बरगद, नीम आदि के फलदार एवं छायादार वृक्ष लगाने, हर गांव में हर घर में शौचालय बनवाने की पूरी योजना बनाई जाएगी, जिसे बरसात के बाद तुरंत क्रियान्वित करना शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अमरकंटक को आधुनिक और सबसे सुंदर तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने अनूपपुर जिला कलेक्टर को योजना बनाने का निर्देश दिया। इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रूपानी ने अपने राज्य में विकास के लिए नर्मदा के जल को सबसे अहम कारक बताया। उन्होंने कहा कि मां नर्मदा के आशीर्वाद से ही गुजरात विकास की राह पर इतना आगे बढ़ सका है। नर्मदा के पानी ने बनासकांठा और कच्छ तक लोगों की प्यास बुझाई है। उन्होंने ऐलान किया कि गुजरात भी नर्मदा के समुद्र में विलय स्थल पर ऐसा ही आयोजन करेगा और नर्मदा की स्वच्छता के अभियान में बढ़चढ़ कर योगदान देगा। यह काम भावी पीढ़ी के लिये आवश्यक है। भैयाजी जोशी ने कहा कि वन नदी पर्वत आज मनुष्य से प्रश्न पूछ रहे हैं कि हम आपके लिए हैं पर क्या आप हमारे लिए हैं। इसे सुनने के लिए चौहान के पास दो कान हैं और खुशी की बात है कि वे यह प्रश्न ना केवल सुन रहे हैं बल्कि उसका उत्तर भी खोज रहे हैं। उन्होंने कहा कि वनों के कारण नदियां जीवित हैं। लकड़ी से आश्रय, भोजन और अंतिम संस्कार तीनों में काम आती है। इसलिए वनों की रक्षा की जानी चाहिए।