ग्वालियर। अबैध खनन अन्य अपराधों के लिए कुख्यात मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले की पुलिस अब अपने ही विभाग के विभीषणों की पहचान में जुट गई है। भिण्ड जिले का पुलिस महकता उन पुलिसकर्मियों की तलाश में लगा है, जो पुलिस की रणनीति की जानकारी कार्यवाही से पहले ही अपराधियों तक पहुंचा रहे हैं। जिन पुलिसकर्मियों पर कानून व्यवस्था में बाधक बन रहे अपराधियों को पकडने की जिम्मेदारी है उनमें से भी कुछ ऐसे पुलिसकर्मी भी हैं जो अपने कर्तव्यों को भूलकर अपराधियों को पुलिस की गोपनीय सूचनाऐं पहुंचाकर अप्रत्यक्ष रुप से उनकी मदद कर रहे है। भिण्ड पुलिस में अपने ही विभाग की गोपनीय सूचनाओं को अपराधियों व उनके सहयोगियों तक पहुंचाने वालों को चिन्हित कर उनको थाने से हटाकर नौकरी से बर्खास्त करने की कार्यवाही तक की जाएगी। पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने ऐसे पुलिसकर्मियों की पहचान करने के लिए जिले भर में अपने विश्वसनीय पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया है जिनकी भनक तक विभाग के किसी अधिकारी या पुलिसकर्मी को नहीं है। अभी तक एक दर्जन के करीबन पुलिसकर्मियों की जानकारी गोपनीय रुप से एकत्रित की जा चुकी है जो वेतन तो पुलिस का ले रहे हैं लेकिन काम अपराधियों के लिए करते है।
पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने बताया कि अपराधियों की धरपकड या गैरकानूनी कारोबारियों के ठिकानों पर दविश दिए जाने के संबंध में तैयार की जाने वाली रणनीति की खबर अपराधियों तक कार्यवाही से पूर्व ही पहंुच जाने के कारण पुलिस की छापामार कार्यवाहियां निरर्थक सावित हो जाती है तथा पुलिस दल की मेहनत भी जाया होती है। ऐसे में गहन तरीके से की गई पडताल में जो तथ्य सामने आया है इसके बाद से पुलिस के आला अफसरों के कान खडे हो गए हैं बल्कि अत्याधिक गोपनीय सूचनाओं को लीक करने वालों को खोजकर उन्हें थानों से बाहर निकालने की रणनीति भी तैयार कर ली है।
भिण्ड पुलिस में स्थानीय पुलिसकर्मियों की संख्या बहुत अधिक है तथा उनकी रिश्तेदारी भी यही है तो पुलिसकर्मी उनकी हर संभव मदद करता है यही कारण है कि भिण्ड जिले में तीन हजार के करीबन स्थायी वारंटी है जो यही रहते हुए भी वर्षों बाद भी पकडे नहीं गए है। पुलिस जब कभी इनके खिलाफ अभियान चलाती है तब भी वह नहीं पकडे जाते है। पुलिस जब बेसमय दविश भी देती है तो अपराधियों पर सूचना पहले ही पहुंच जाने से वह भाग जाता है और पुलिस खाली हाथ लौट आती है। अब पुलिस की निगाहें अपने ही विभाग के उन पुलिसकर्मियों पर है जो अपराधी की मदद करते है। पुलिस अधीक्षक ने गोपनीय तौर पर प्रत्येक थाने में अपना एक मुखबिर तैनात किया है जो थाने के पूरे स्टाफ पर नजर रखकर उनकी दिन-रात की गतिविधियों पर नजर रखकर उनकी जानकारी पुलिस अधीक्षक को देगा। थाने में कौन-कौन आता है तब पुलिस का उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।
अबैध रुप से संचालित रेत खदानों पर जब भी पुलिस कार्यवाही करती है बडी मात्रा में डंप किया गया रेत, मशीनें मिलती है लेकिन इनको चलाने वाले मौके पर क्यों नहीं मिलते इससे साफ जाहिर है कि रेत माफिया के कारोबारियों पर पहले ही सूचना होती है कि पुलिस की कार्यवाही होने वाली है। आज प्राइवेट लोग जो कभी पुलिस की मुखबिरी करते थे अब उन मुखबिरों का पुलिस से मोहभंग हो गया है अब वह अपराधियों के लिए काम करने लगे है। यही कारण है कि आज अपराधियों का मुखबिर तंत्र काफी बडा है।
पुलिस अधीक्षक भसीन ने बताया कि अपराधियों को सूचना देने वाले ऐसे पुलिसकर्मियों को थानों में तो कभी रखा ही नहीं जाएगा, यदि उन पर आरोप सिद्ध हुए तो ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ निलंबन के अलावा बर्खास्तगी तक के लिए प्रस्ताव तैयार हो सकता है। इसी माह ऐसे भेदियों की पहचान हो जाने के बाद इनके खिलाफ कार्यवाही के साथ ही इनके नाम उजागर कर दिए जाऐंगे।

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