ग्वालियर । भौतिकता की अग्नि में दग्ध दुनिया को शांति का दिगदर्शन अद्वैत दर्शन ही करायेगा। भारतीय सांस्कृतिक एकता एवं सामाजिक समरसता के ध्वज वाहक आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा बताए गए अद्वैतवाद दर्शन में दुनिया की सब समस्याओं का समाधान निहित है। उक्त आशय के विचार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने व्यक्तक किए। मुख्यमंत्री चौहान बुधवार को ग्वालियर में आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा के लिये धातु संग्रहण एवं जन-जागरण के उद्देश्य से आई “एकात्म यात्रा” के तहत आयोजित हुए जन संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
यहाँ फूलबाग मैदान में एकात्म यात्रा के तहत आयोजित हुए जन संवाद कार्यक्रम में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, महापौर विवेक नारायण शेजवलकर, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मनीषा भुजवल सिंह यादव, विधायकगण नारायण सिंह कुशवाह व भारत सिंह कुशवाह, सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष बालेन्दु शुक्ल, साडा अध्यक्ष राकेश सिंह जादौन, जीडीए के अध्यक्ष अभय चौधरी, महामण्डलेश्वर स्वामी परमानंद जी महाराज, महामण्डलेश्वर राधे-राधे बाबा जी, संत श्री रामदास जी महाराज दंदरौआ सरकार, संत श्री रामसेवकदास जी महाराज गंगादास की शाला, संत श्री दादा रमेशलाल जी धर्मपुरी धाम व राजयोगिनी ब्रम्हाकुमारी अवधेश दीदी, संत कृपाल सिंह जी महाराज सहित अन्य संतजन एवं यात्रा संयोजक राजेश सोलंकी, देवेश शर्मा, वीरेन्द्र जैन व अन्य जनप्रतिनिधिगण मंचासीन थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारतीय संस्कृति में भगवान को प्राप्त करने के तीन मार्ग बताए गए हैं। जिन्हें ज्ञानमार्ग, भक्तिमार्ग व कर्ममार्ग कहा जाता है। आदि गुरू शंकराचार्य ज्ञान, भक्तिन व कर्म मार्ग के त्रिवेणी संगम थे। श्री चौहान ने कहा जिस समय भारतीय समाज विभिन्न मत-मतांतर एवं कर्मकाण्डों में उलझा हुआ था। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में आदि गुरू शंकराचार्य भारतीय सनातन संस्कृति के प्रणेता के रूप के सामने आए। उन्होंने भारत को चारों दिशाओं में जोड़ने का काम किया। आदि गुरू ने भारत के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की। साथ ही शास्त्रार्थ के जरिए अद्वैत दर्शन को जन-जन तक पहुँचाया। भारतीय संस्कृति के अग्रदूत आदि गुरू शंकराचार्य ने मानव मात्र में एकात्मता का उदघोष किया। उन्होंने संदेश दिया कि मानव मात्र सहित प्रत्येक जीव में एक ही चेतना है और हम सब एक ही परमात्मा की संतान हैं।
एकात्म यात्रा के तहत आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व के कल्याण की बात कहती है। जब सभी प्राणियों में एक ही आत्मा है तो जातिवाद, संप्रदायवाद व क्षेत्रवाद जैसी बातों का कोई अर्थ नहीं रह जाता। हमारी संस्कृति कहती है कि पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों में भी एक ही चेतना और ईश्वर का वास है। देवी-देवताओं की सवारी भी पशु बताए गए हैं। इसीलिए भारतीय सनातन संस्कृति में नदियों को माता और पहाड़ों व प्रकृति को देवी-देवता तुल्य मानकर पूजा जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा सरकार का काम केवल सड़क, अस्पताल व अन्य निर्माण कार्य नहीं, सरकार का काम इंसान की जिंदगी बनाना भी होता है। भारतीय संस्कृति में आदिकाल से संतों के निर्देशन में राज सत्तायें समाज को दिशा देने का काम करती रही हैं। इसी पुनीत उद्देश्य को लेकर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ओंकारेश्वर में अद्वैतवाद के प्रणेता आदि गुरू शंकराचाय की 108 फीट की अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसमें प्रदेश की साढ़े 7 करोड़ जनता की भावनायें भी जुड़ें, इस पुनीत उद्देश्य को लेकर सरकार द्वारा सभी की भागीदारी से एकात्म यात्रा निकाली जा रही है। जिसके माध्यम से कलश के रूप में धातु संग्रहण और पवित्र मिट्टी इकट्ठी की जा रही है। यह मिट्टी आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा का आधार बनेगी और धातु का उपयोग प्रतिमा निर्माण में होगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा भारत ही नहीं पूरी दुनिया को शांति, एकता व भाईचारा का संदेश देगी। साथ ही नशामुक्ति, बेटी बचाने व अन्य सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन की प्रेरणा भी उनकी प्रतिमा से मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चार विभिन्न स्थानों से शुरू हुई एकात्म यात्रा व शंकराचार्य की जन्मभूमि केरल से आई पाँचवी यात्रा 22 जनवरी को ओंकारेश्वर पहुँचेगी। उन्होंने इस अवसर पर ओंकारेश्वर पहुँचकर अद्वैत वेदांत की प्रतिमा की स्थापना में सहभागी बनने का आहवान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ओंकारेश्वर में अद्वैत वेदांत की स्थापना होगी। साथ ही सांस्कृतिक एकता न्यास भी बनाया जायेगा। उन्होंने मानव मात्र की एकात्मता के लिये सभी को संकल्प भी दिलाया।
महामण्डलेश्वर स्वामी परमानंद जी महाराज ने अपने आशीर्वचन देते हुए कहा कि सनातन संस्कृति की रचना किसी एक समुदाय या धर्म से नहीं हुई है, बल्कि इसके रचनाकार सर्वसमाज के लोग हैं। उन्होंने कहा जब तक हम एक होकर नहीं रहेंगे, तब तक समाज व संविधान की रक्षा नहीं कर पायेंगे। स्वामी परमानंद जी ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य मध्यप्रदेश की धरती पर 8 वर्ष की अल्प आयु में पहुँचे थे और ओंकारेश्वर में उन्होंने तत्व ज्ञान प्राप्त किया। महामण्डलेश्वर राधे-राधे महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य की मूर्ति स्थापित होने से पहले एकात्मता का भाव जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से एकात्म यात्रा निकाली गई है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की यह पहल सराहनीय है।
एकात्म यात्रा के संयोजक राजेश सोलंकी ने ग्वालियर में एकात्म यात्रा के तहत आयोजित हुए जन जागरण कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ग्वालियर शहर के सभी 66 वार्डों और ग्रामीण अंचल से उपयात्रायें यहाँ आई हैं। जन जागरण कार्यक्रम के तहत जिले में महिला सुरक्षा, नशा मुक्ति पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। नशामुक्ति व महिला सुरक्षा को लेकर 52 हजार लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।
आरंभ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एकात्म यात्रा में आईं आदि गुरू शंकराचार्य की पादुकाओं एवं यात्रा कलश का सपत्नीक पूजन किया। साथ ही कन्या पूजन एवं पादपृच्छालन कर संतजनों से आशीर्वाद लिया। उन्होंने इस अवसर पर शॉल-श्रीफल भेंट कर संतजनों का अभिनंदन भी किया।
ग्वालियर में एकात्म यात्रा के प्रति जन जागरण के उद्देश्य से आयोजित हुई चित्रकला प्रतियोगिता की सर्वश्रेष्ठ पेंटिंग को कलेक्टर राहुल जैन ने मुख्यमंत्री को सौंपा। इसी तरह नशामुक्ति बेटी बचाओ व जल संरक्षण अभियान के संकल्प पत्र उन्हें सौंपे गए। जिले में चल रही आनंद विभाग की गतिविधियाँ व नवाचारों से संबंधित फोल्डर आनंदम विभाग के नोडल अधिकारी शिवराज वर्मा व डॉ. सत्यप्रकाश ने मुख्यमंत्री को भेंट किए। कार्यक्रम के अंत में जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक मुनेन्द्र शेजवार ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन एस बी ओझा द्वारा किया गया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने किया मंत्रमुग्ध
एकात्म यात्रा कार्यक्रम स्थल पर आदि शंकराचार्य के जीवन पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में मौजूद नागरिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शिवशक्ति संगीत अकादमी की सुश्री सुधा रघुरमन एवं उनके साथियों ने अर्द्धनारीश्वर व पंचाक्षर स्त्रोतम, शिवभजन, गंगा स्त्रोतम का सुमधुर गायन कर प्रांगण को भक्तिमय बना दिया। इसी तरह रंग कुटुम्ब संस्था के कलाकारों ने आदि गुरू शंकराचार्य पर केन्द्रित नाटक “महापरिब्राजक” की मनोहारी प्रस्तुति दी। सुश्री निशीकांत मोघे के संस्कृत बैण्ड ने भजन सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया।
शंख ध्वनि के साथ शुरू हुआ मुख्यमंत्री का उदबोधन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उदबोधन से पहले ग्वालियर निवासी आनंदक विक्रम राणा ने मधुर शंख वादन किया। चौहान ने उनके शंख वादन की सराहना की और पुष्पाहार से स्वागत किया।