भोपाल ! उच्च न्यायालय की फटकार के बाद पिछले 14 दिनों से हड़ताल कर रहे पटवारी आज काम पर लौट आए। न्यायालय ने उनकी हड़ताल को असंवैधानिक करार देते हुए तुरंत काम पर लौटने के आदेश दिए थे। उधर राज्य सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया था, कि यदि पटवारी हड़ताल पर नहीं लौटे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा के किसान राजेश पटेल ने पटवारियों की हडताल को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था, कि पटवारी हड़ताल से सूखा प्रभावित किसानों को राहत राशि नहीं मिल पा रही है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन तथा केके त्रिवेदी की युगलपीठ ने कहा, कि यह हड़ताल अवैधानिक है। पटवारियों को तुरंत काम पर लौटने का आदेश देते हुए न्यायलय ने कहा, कि अगर पटवारी अपनी हडताल वापस नहीं लेते तो राज्य के मुख्य सचिव उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उधर पटवारी हड़ताल को लेकर राज्य सरकार का शुरू से ही सख्त रुख रहा। कल शहडोल में आयोजित जनसंवाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट कर दिया था, कि पटवारियों की मांगे नहीं मानी जाएंगी। आज हुई मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद भी श्री चौहान ने स्पष्ट कहा था, कि पटवारी शाम 5 बजे तक हड़ताल वापस ले लें अन्यथा उनके बस्ते जमा करा लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने उन्हें कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। न्यायालय के साथ साथ सरकार के कड़े तेवरों को देखते हुए पटवारियों ने पहले राजस्व मंत्री रामपाल सिंह और फिर वित्तमंत्री जयंत मलैया से मुलाकात के बाद अपनी हड़ताल वापस ले ली। सूत्रों के अनुसार श्री मलैया ने आज फिर यह बात साफ कर दी थी कि पटवारी हड़ताल वापस लें। अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। श्री मलैया से मुलाकात के बाद पटवारियों ने हड़ताल वापस ले ली।
उल्लेखनीय है, कि मप्र पटवारी संघ के तत्वावधान में गत 20 नवंबर से ग्रेड पे 2100 से बढ़ाकर 2800 करने की मांग को लेकर पटवारी बेमियादी हड़ताल पर चले गए थे। पटवारियों का कहना था कि मांग पूरी होने के बाद ही वे काम पर वापस आएंगे, लेकिन शासन ने उनकी मांग नहीं मानी।