भिण्ड। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव बसन्त प्रताप सिंह ने कलेक्टरों सहित सभी राजस्व अधिकारियों से कहा है कि अदम्य पैरवी के प्रकरणों को तब तक खारिज नहीं करें जब तक पुख्ता तथ्य नहीं मिल जाए। डायवर्सन के प्रकरणों में राशि जमा होने के बाद ही आदेश पारित किए जाए। राजस्व की सभी सेवाऐं पूरी गुणवत्ता के साथ आम आदमी को उपलब्ध कराई जाए। मुख्य सचिव सिंह आज भिण्ड जिला पंचायत के सभाकक्ष में चंबल संभाग के राजस्व अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्य सचिव ने कहा कि अविवादित नामांतरण, बटवारा व सीमांकन प्रकरणों के निराकरण में राज्य शासन की जीरो टाॅंलरेंस है। इनके निराकरण में किसी भी प्रकार की लापरवाही व देरी बर्दाश्त नहीं होगी।
बैठक में राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव अरूण पाण्डे, राजस्व एवं पर्यटन विभाग के सचिव हरिरंजन राव, प्रमुख राजस्व आयुक्त रजनीश श्रीवास्तव, आयुक्त भू अभिलेख एमके अग्रवाल, चंबल संभाग के कमिश्नर शिवानंद दुबे, अपर आयुक्त आरबी प्रजापति, कलेक्टर भिण्ड डाॅ इलैया राजा टी, कलेक्टर मुरैना भास्कर लक्षाकार, कलेक्टर श्योपुर पन्नालाल सोलंकी, चंबल संभाग के तीनो जिलों के अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदारों सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव बसन्त प्रताप सिंह ने कहा कि संभागीय बैठक करने का मुख्य उद्देश्य शत प्रतिशत राजस्व प्रकरणों को आरसीएमएस (रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम) साफ्टवेयर और दायरा पंजी में दर्ज कराए प्रकरणों को त्वरित गति से निराकृत करना है। उन्होंने कहा कि राजस्व की सभी सेवाऐं पूरी गुणवत्ता के साथ आम आदमी को उपलब्ध कराई जाए। लोगों को अपने राजस्व मामलो के निराकरण कराने के लिए भटकना नहीं पडे। मुख्य सचिव ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति नवम्बर के बाद पुराने अविवादित नामांतरण अथवा बटवारा का प्रकरण लेकर आएगा, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ जुर्माने की कार्यवाही की जाएगी। और प्राप्त जुर्माने की राशि शिकायतकर्ता को दी जाएगी। इसीलिए सभी राजस्व अधिकारी पूरी गंभीरता के साथ राजस्व प्रकरणों का निराकरण सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि पिछली बैठक के बाद अविवादित नामांतरण बटवारे के प्रकरणों के निराकरण में गति आई है। लेकिन सीमांकन के मामले अपेक्षा के अनुरूप निराकृत नहीं हो रहे है। उन्हांेने कहा कि सीमांकन के लिए टीएस मशीन भी उपलब्ध कराई गई है। इन मशीनो के द्वारा सीमांकन कराया जाए। अगर इसके प्रशिक्षण की आवश्यकता हो, तो हर तहसील प्लेस पर मास्टर ट्रेनर्स भी उपलब्ध है।
मुख्य सचिव ने कहा कि चंबल संभाग के तीनो जिलो में राजस्व प्रकरणों के निराकरण में अच्छा काम हुआ है, लेकिन अदम्य पैरवी के प्रकरणों को बगैर पुख्ता तथ्यों के खारीज किया गया है यह गलत है। पुख्ता तथ्य के आधार पर ही अदम्य पैरवी के प्रकरणों का निराकरण किया जाए साथ ही उनका अमल राजस्व अभिलेख में किया जाए। मुख्य सचिव ने जिले वार राजस्व प्रकरणों की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रशाासनिक तंत्र में राजस्व अधिकारी का एक महत्वपूर्ण पद है। राजस्व अधिकारी पद की गरिमा के अनुरूप अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ करें। उन्होंने सरकारी भूमि हस्तांतरण के मामले में पूरी सावधानी एवं सतर्कता बरतने की भी हिदायत दी।
मुख्य सचिव ने संभाग के सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सुनिचिश्त करें कि डायवर्सन के प्रकरणों में डायवर्सन की राशि जमा होने के बाद ही आदेश जारी करें, इन प्रकरणों में प्रोएक्टिव होकर कार्यवाही करें। ऐसा करने पर संबंधित राजस्व अधिकारी कार्यवाही के लिए तैयार रहें।
मुख्य सचिव ने संभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि पटवारी बस्तो का निरीक्षण करें और ऐसे पटवारी जिनके द्वारा अपने कार्य में रूचि नहीं ली जा रही है एवं लापरवाही बरत रहे है। उन पटवारियों के विरूद्व अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि संभाग में बडी संख्या में आरसीएमएस राजस्व प्रकरण दर्ज हुए है। लेकिन इसके बावजूद भी पुराने प्रकरण दर्ज न होने की स्थिति में संबंधित राजस्व अधिकारी के विरूद्व कार्यवाही की जाएगी। सीमांकन के प्रकरणों का भी दर्ज न करना गंभीर मामला है। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि उनके द्वारा जो भी आदेश पारित किए जाए। उनको अमल कराना भी राजस्व अधिकारी की जवाबदारी है। मुख्य सचिव ने आरआई, पटवारी और रीडर को नियंत्रित करने के भी निर्देश दिए।
प्रमुख सचिव राजस्व अरूण पाण्डे ने सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि पीठासीन अधिकारी के रूप में वे अपने न्यायालयों का बारीकी के साथ निरीक्षण करें। उन्होंने निर्देश दिए कि पटवारी हल्को के निरीक्षण हेतु अभियान संचालित किया जाए।
समीक्षा के दौरान पाण्डे ने कहा कि प्रकरणों के निराकरण में जहां राजस्व शिविर लगाने की जरूरत हो, वहां शिविर लगाए। अधिनस्थ न्यायालयो से प्रकरण नहीं मिलना भी गंभीर बात है। अगर प्रकरण नहीं मिलते है, तो संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जावे। उन्होंने प्रत्येक जिले के रिकार्ड रूम को व्यवस्थित करने तथा निर्धारित तिथि के पश्चात नियमानुसार विनिष्टीकरण करने के भी निर्देश दिए।
राजस्व विभाग के सचिव हरिरंजन राव ने आरसीएमएस साॅफ्टवेयर के बारे में राजस्व अधिकारियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आगे से दायर पंजी भी समाप्त होगी, यह कार्य आॅनलाईन होगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि राजस्व विभाग द्वारा स्पष्ट आदेश जारी किया गया है कि आरसीएमएस में प्रकरण दर्ज नहीं होने पर संबंधित राजस्व अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। एमपी आॅनलाईन क्योस्क के माध्यम से राजस्व प्रकरण दर्ज कराए जा सकते है। इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। उन्होंने आगामी विधानसभा के प्रश्नो के उत्तर भी आॅनलाईन भिजवाने के निर्देश कलेक्टरों को दिए।
प्रमुख राजस्व आयुक्त रजनीश श्रीवास्तव ने भी राजस्व से ंसंबंधित विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लम्बे बर्षो से पटवारियों के पास रखी पंजियों को रिकार्ड में जमा कराने की कार्यवाही की जाए। उन्होंने उच्च न्यायालय में लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए विशेष विधि अधिकारी की नियुक्ती की है। सभी नोडल अधिकारी विशेष विधि अधिकारी के संपर्क में रहे तथा जिन प्रकरणों में जबाव नहीं लगे है उन्हें तत्काल लगवाए।
भू अभिलेख आयुक्त एमके अग्रवाल ने कहा कि नामांतरण पंजियां पटवारियों के घर पर नहीं राजस्व कार्यालयों में रहनी चाहिए। उन्होंने निरीक्षण प्रतिवेदन को आरसीएमएस में अनिवार्य रूप से अपलोड करने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि राजस्व निरीक्षको के निरीक्षण नहीं हो रहे है। इनके कार्यो का निरीक्षण तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार समय-समय पर करते रहे। उन्होंने दिसम्बर 2017 के अंत सभी हल्का पटवारियों के बस्तो के जांच कार्य पूर्ण करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने सीमांकन कार्य पर जोर देते हुए कहा कि 15 नवम्बर 2017 तक कुल सीमांकन में से 15-15 सीमांकन करने के भी निर्देश एसडीएम को दिए। चंबल संभाग आयुक्त शिवानंद दुबे ने संभाग के तीनो जिलो में पिछले दो माह में राजस्व के कार्याे में ओर प्रगति का पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी।
बैठक में कलेक्टर भिण्ड डाॅ इलैया राजा टी, कलेक्टर मुरैना भास्कर लक्षाकार और कलेक्टर श्योपुर पन्नालाल सोलंकी ने अपने अपने जिलो में हुए राजस्व कार्यो की प्रगति से मुख्य सचिव को अवगत कराया। इसी तरह भिण्ड, मुरैना के अपर कलेक्टर एवं तीनो जिलो के अनुविभागीय दण्डाधिकारियों, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदारों ने भी अपने-अपने क्षेत्र के राजस्व प्र्रकरणो की प्रगति से अवगत कराया।
मुख्य सचिव बीपी सिंह ने जोर देकर कहा कि सभी पटवारियों के बस्ते की बारीकी से जांच करें। इसी तरह हर गांव में बी-1 पढकर सुनाए। उन्हांेने कहा कि यह कार्रवाई औपचारिक न हो। बी-1 वाचन के बाद फौती के जो नामांतरण प्रकरण सामने आए, उनका तत्परता से निराकरण करें। उन्होंने यह भी कहा कि पटवारी रिपोर्ट के अभाव की बजह से यदि कोई राजस्व प्रकरण लंबित पाया गया , तो संबंधित राजस्व अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
मुख्य सचिव बीपी सिंह ने कहा कि सरकारी जमीन का संरक्षण और राजस्व की बसूली राजस्व अधिकारियों का प्रमुख दायित्व है। इसलिए डायवर्सन, नजूल व अर्थदण्ड की बसूली में तेजी लाये। उन्होंने कहा कि इन सभी की अलग-अलग पंजियां संधारित करें। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए ऐसी स्थिति कदापि बर्दाश्त नहीं होगी कि अर्थदण्ड का आदेश तो पारित किया गया, मगर बसूली नहीं की गई। उन्होंने यह भी कहा कि डायवर्सन की बसूली पहले बडे बकायादारो से करें। नगर निगम से नए व्यावसायिक निर्मार्णो की सूची लेकर डायवर्सन शुल्क निर्धारित करें और उसकी बसूली की जाए।

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