भोपाल ! राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के तीसरे वर्ष में प्रवेश के अवसर पर महिला और बाल विकास मंत्रालय ने प्रथम अखिल भारतीय महिला पत्रकार कार्यशाला का आयोजन नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में किया। इस सम्मेलन के माध्यम से देश के 30 राज्यों से ढाई सौ महिला पत्रकारों को एक साथ एक मंच पर लाया गया।
कार्यशाला में समाजिक क्षेत्र में काम करने वाली महिला पत्रकारों की एक अनूठी सभा को संबोधित करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मंत्री मेनका संजय गांधी ने पिछले दो वर्षों की उपलब्धियों के प्रदर्शन के साथ-साथ हाल ही में जारी महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे, ड्राफ्ट तस्करी विरोधी विधेयक, जेजे अधिनियम के अंतर्गत ड्राफ्ट विनियमन पर महिलाओं और बच्चों से संबंधित बहुत से मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रिया भी जानी। कार्यशाला में महिलाओं और बच्चों से संबंधित नये विचारों, क्षेत्रों को लेकर चर्चा हुई, जिन पर आने वाले महीनों में ध्यान दिया जाना है। इसमें पंचायती राज, पुलिस में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महिला हाट, कार्यस्थल पर प्रताडऩा,बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ और बच्चों को गोद लेने के प्रावधान आदि शामिल हैं। श्रीमती गांधी ने कहा, कि उनके सामने बच्चों और गर्भवती महिलाओं को समग्र बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत दिया जाने वाला गुणवत्ता युक्त पोषण सबसे बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा, कि उनका मंत्रालय बच्चों के लिए विशेष रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए गाइडलाइन बना रहा है, कि प्रत्येक राज्य के मुताबिक आहार में बदलाव किये जाने पर विचार किया जा रहा है। श्रीमती गांधी ने कहा, कि दूध व अण्डे बच्चों के लिए नुकसानदायक है। उन्होंने कहा, कि दूध में यूरिया और पेण्ट के साथ-साथ न जाने क्या क्या हानिकारक तत्व मिलाए जाते है। प्राय: 20 फीसदी दूध ही ठीक होता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, कि दूध व दूध से बने व्यंजन बच्चों व महिलाओं को नहीं दिए जाने चाहिए। उन्होंने जानकारी दी, कि बच्चों के लिए जंक फूड को लेकर गाइड लाईन बनाई जा रही है। जिसमें निर्देश होंगे, कि स्कूल के आस-पास कोई भी फास्टफूड की दुकान नहीं न हो। श्रीमती गांधी ने कहा, कि वर्ष 2019 तक 4 लाख आंगनबाडिय़ों के पास अपने भवन होंगे और वहां काम करने वाले कार्यकर्ता व सुपरवाईजर सरकारी कर्मचारी होंगे।
उल्लेखनीय है, कि पिछले 8 माह से मध्यप्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्ताह में तीन दिन बच्चों को दूध और दूध से बनी खीर आदि दिये जा रहे है। प्रदेश बाल विकास पुष्पलता सिंह बताती हैं, कि इससे कुपोषण में कमी आई है। बजट का उल्लेख करते हुए वह कहती हैं, कि 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकार का अंशदान होता है और पूरक आहार में राज्य अपने अनुसार मेन्यू में परिवर्तित कर सकता है। इसके अलावा देश के झारखण्ड, उड़ीसा, ंदावान-निकोबार जैसे 7 राज्यों के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अण्डा परोसा जाता है। कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व प्रेस सूचना ब्यूरों ने संयुक्त रूप से किया था।