भोपाल। मध्यप्रदेश के नागरिकों को अब सितम्बर से बिजली के लिए ज्यादा दाम चुकाने होंगे। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की नई दरें घोषित कर दीं। आयोग ने तकरीबन 7 फीसदी दरें बढा दी हैं। अभी बिजली यूनिट के चार स्लैब हैं। इस बार 51 से 100 यूनिट के स्थान पर 51 से 150 यूनिट तक का नया स्लैब जोडा गया है। सभी स्लैब की नई दरों की यदि वर्तमान दरों से तुलना करें तो प्रति स्लैब 20 से 30 पैसे प्रति यूनिट दाम बढ गए हैं। हालांकि नई दरें 17 अगस्त से लागू होंगी। इससे सितम्बर में बडी हुई दरों के हिसाब से बिल आएगा। राज्य की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत बिजली दर में 12.03ः बढोतरी की मांग की थी, लेकिन आयोग ने 7 फीसदी की बढोतरी स्वीकार की है। इसके अलावा घरेलू में 5.1 और गैर घरेलू कनेक्शन के लिए 4.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
सरकार द्वारा दी जा सब्सिडी के फलस्वरूप 10 हार्स पावर तक के फ्लैट रेट कृषि उपभोक्ताओं को 700 रुपए प्रति हार्स पावर प्रति वर्ष की दर से भुगतान करना होगा। 10 हार्स पावर से अधिक के कृषि उपभोक्ताओं को देय सब्सिडी के बाद 1400 रुपए प्रति हार्स पावर प्रतिवर्ष की दर से भुगतान करना होगा। गौशालाओं से चारा कृषि (फॉडर फार्मिंग) के लिए पंपों को कृषि फ्लैट रेट बिलिंग में शामिल किया गया है।
निम्न दाब (एलवी) और उच्च दाब (एचवी) उपभोक्ता जो डिमांड बेस्ड टैरिफ पर बिजली प्राप्त करते हैं उन्हें वर्तमान में संविदा मांग से 15 प्रतिशत अधिक तक सामान्य दरों पर विद्युत का उपयोग करने की सुविधा है। इसे बढाकर 20 प्रतिशत किया गया है। यानि उन्हें उसी दर पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त बिजली मिलेगी। निम्न दाब उपभोक्ता के लिए बिल राशि के त्वरित भुगतान के लिए दी गई 0.25 प्रतिशत छूट को बढा कर 0.50 प्रतिशत किया गया है। पूर्व में यह सुविधा एक लाख तथा इससे अधिक की राशि का भुगतान वाले उपभोक्ताओं को उपलब्ध थी,अब दस हजार या उससे अधिक का भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं के लिये भी लागू किया गया है।
यदि कोई व्यक्ति स्वयं के लिए मकान निर्माण करता है तो उसे 8.20 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाएगी। इसके फिक्स चार्ज शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होंगे। पूर्व में यह दर 8.30 रुपए प्रति यूनिट थी। इसमें दस पैसे कम किए गए हैं।
आयोग ने बिजली कंपनियों की दर को आनुपातिक दर से बिलिंग किए जाने की अनुमति दी है। इससे उपभोक्ताओं को एक माह से अधिक/कम स्लैब बिलिंग में किसी प्रकार की आर्थिक हानि नहीं होगी। यदि मीटर रीडिंग 30 से ज्यादा दिनों में होती है और स्लैब में बढोतरी होती है तो इसका भार उपभोक्ताओं पर नहीं पडेगा। यानी अगर 35 दिन में रीडिंग हो रही है और इस वजह से स्लैब में इजाफा हुआ है तो 30 दिन में जो स्लैब था, उसी के आधार पर बिलिंग होगी। यूनिट उतनी ही रहेंगी पर दरें बढे हुए स्लैब की लागू नहीं होगी। इसकी गणना प्रोरेटा बेसिस पर होगी।