ग्वालियर। चंबल संभाग के भिण्ड जिले में नाबालिंग युवक-युवतियों के गायब होने की संख्या दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है। 6 वर्ष से 17 वर्ष तक के लडके-लडकियों को बहला फुसलाकर अपहरण कर ले जाकर उन्हें काम पर लगा देने का काम निरंतर जारी है। पुलिस ऐसे मामलों में गुमशुदी दर्ज कर चुपचाप शांत बैठ जाती है। वर्ष 2014 के 9 महीने में 90 बच्चों के गुमशुदी के मामले जिले के थानों में दर्ज किए गए हैं।
भिण्ड जिले के सभी पुलिस थानों में दर्ज किए गए अपनयन के मामलों में वर्ष 2011 में 20 नाबालिंग बच्चे अगुवा किए गए थे, जबकि वर्ष 2012 में 26 बच्चों को बहला फुसलाकर ले जाया गया है। वर्ष 2013 में इन बच्चों के अगुवा करने की बारदातों में इजाफा हुआ और इनकी संख्या बढकर 49 हो गई। वर्ष 2014 के इन नौ महीने में 90 बच्चों का अपहरण किया गया है। कुल मिलाकर इन 45 माह में 183 बच्चे भिण्ड जिले से अगुवा किए जा चुके हैं। पुलिस इन अगुवा बच्चों का अभी तक सुराग नहीं लगा पाई है। अगुवा किए गए बच्चों को पुलिस सुराग तो लगा ही नहीं पाई है साथ ही ऐसी बारदातों पर अंकुश भी नहीं लगा पाने के कारण लोग काफी दहशत में रह रहे है। लोगों को आशंका है कि अगुवा किए गए इन मासूम बच्चों के अंगों की तस्करी तो नहीं की जा रही है। हालांकि मानव तस्करी का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
कम उम्र की नाबालिंग युवक-युवतियों को बहला-फुसलाकर अगुवा किए जाने के मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देश दिए गए थे कि ऐसे मामलों में पुलिस गम्भीरता से कार्यवाही करे। अगवा किए गए बच्चों की खोजबीन में ढिलाई बरती गई तो संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही की चेतावनी भी दी गई थी। पुलिस कार्यवाही से बचने के लिए अगवा किए गए बच्चों के मामलों में गुमशदी ही दर्ज किए रहती है अपहरण का मामला न्यायालय के निर्देश के बाद ही दर्ज करती है।
पुलिस अधीक्षक विनीत खन्ना ने बताया कि लापता बच्चों के मामलों में कार्यवाही जारी है। इन बच्चों का पता लगाकर वापस लाया जायेगा। जिले के सभी थाना प्रभारियों को इन बच्चों के मामलों में कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए है।

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