भोपाल ! मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि कांग्रेस नेता तीसरा विकेट चटकाने की बात करते हैं लेकिन वह कोई क्रिकेट का विकेट नहीं अंगद के पैर की तरह हैं जो जमे रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान नियुक्तियों में हुयी गडबडियों की जांच राज्य सरकार कराएगी। श्री चौहान ने विधानसभा के सभागार में पत्रकारों से कहा कि जांच एजेंसी और इससे जुडे बिंदु कल तक तय हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों में हर नियम-कायदों को ताक पर रखकर नियुक्तियां की गयीं और इसी से जुडे लोग भाजपा की मौजूदा उस सरकार पर आधारहीन आरोप लगा रहे हैं जिसे जनता लगातार चुनती आ रही है। उन्होंने इशारा किया कि यह सब कांग्रेस के नेता अपने नेताओं को दिखाने के लिए कर रहे हैं।

व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा कुछ सरकारी नौकरियों में भर्ती तथा व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों में प्रवेश परीक्षाओं के आयोजन में हुए कथित घोटाले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग को लेकर राज्य विधानसभा में बुधवार से जारी स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के आज दूसरे दिन भी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के हंगामे की वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना जवाब पूरा नहीं कर सके। कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के चलते अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा को आज सुबह सदन की कार्यवाही पहले पन्द्रह मिनट, फिर पांच मिनट और उसके बाद भोजनावकाश के लिए स्थगित करना पड़ी और व्यवस्था बनाए रखने की उनकी अनेकों अपीलें भी विपक्ष पर बेअसर रहीं। अध्यक्ष की व्यवस्था के चलते आज की कार्यसूची में प्रश्नकाल से पहले बुधवार के स्थगन प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री चौहान का वक्तव्य पूरा होना था। कांग्रेस के हंगामे, नारेबाजी और शोरशराबे की वजह से जहां मुख्यमंत्री आज भोजनावकाश से पहले तक अपना जवाब पूरा नहीं कर सके, वहीं प्रश्नकाल भी नहीं हो सका। सदन में कांग्रेस के सदस्य आज एक काला ‘एप्रेनÓ पहन कर आए थे, जिस पर लिखा था, ‘व्यापमं के खेल में भांजा-भांजी जेल में, मामा लगे कमाने के खेल मेंÓ। अध्यक्ष द्वारा मुख्यमंत्री को जैसे ही अपना जवाब पूरा करने के लिए पुकारा गया, कांग्रेस के रामनिवास रावत ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि नियमों के तहत किसी भी स्थगन प्रस्ताव पर दो घंटे में चर्चा पूरी होनी होती है और उसके बाद प्रस्ताव स्वत: समाप्त हो जाता है। इसलिए उसे दूसरे दिन निरंतर जारी नहीं रखा जा सकता है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र, गृह मंत्री बाबूलाल गौर आदि ने वर्ष 1986 से 1997 के बीच के कई उदाहरण देते हुए कहा कि तब कांग्रेस शासनकाल में दो-तीन दिनों तक ऐसे ही प्रस्तावों पर बहस हो चुकी है। यह सदन नियमों से अधिक परंपराओं के आधार पर चलता रहा है। मुख्यमंत्री चौहान आज भी जब सदन में स्थगन प्रस्ताव पर अपना जवाब देने के लिए खड़े हुए तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर बुधवार की तरह हंगामा शुरू कर दिया तथा उसके अधिकतर सदस्य सदन के गर्भगृह में आकर नारेबाजी करने लगे। चौहान को इसी हंगामे के बीच अपना जवाब जारी रखने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि व्यापमं घोटाले पर आए स्थगन प्रस्ताव पर विपक्ष के आरोपों का सदन में जवाब देने का अधिकार उनसे कोई छीन नहीं सकता है। पहली बार यहां ऐसी अभूतपूर्व स्थिति निर्मित हुई है, जब सदन के नेता को बोलने से रोका जा रहा है। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये काले कपड़े पहन कर आए हैं और इनका मन भी काला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वास्तव में लोकतंत्र का गला घोंट देना चाहती है। उसने अपने बोलने के अधिकार का उपयोग तो कर लिया, लेकिन वह जवाब सुनने के कत्र्तव्य का निर्वहन नहीं करना चाहती है। सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब विपक्ष ने आरोप लगाकर हमें कटघरे में खड़ा करने का काम किया है, तो इस प्रदेश की जनता को भी अधिकार है कि वह हमारे जवाब से अवगत हो।

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