इंदौर । हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर तल्ख टिप्पणी करते हुए सोमवार को कहा कि यह बहुत दुखद है कि जब तक कोर्ट का दखल नहीं होता, पुलिस कार्रवाई तक नहीं करती। दो साल बीतने के बावजूद पुलिस एक युवती को तलाश नहीं सकी। तनख्वाह पर करोड़ों खर्च होने के बावजूद पुलिस का काम नजर नहीं आता। पुलिस सिर्फ वर्दी का रौब झाड़ने में लगी रहती है, जबकि रौब तो काम से नजर आना चाहिए।

हर मामले में कोर्ट को एसआईटी गठित करना पड़ती है। बाणगंगा क्षेत्र निवासी टि्वंकल डांगरे के परिजन की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने डीआईजी से कहा कि वे खुद अपनी निगरानी में जांच कराएं और अगली सुनवाई पर बताएं कि इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने और जांच का काम कहां तक पहुंचा। कोर्ट इस मामले में अब 19 नवंबर को सुनवाई करेगी।

दो साल पहले दर्ज कराई थी शिकायत

टि्वंकल 16 अक्टूबर 2016 की सुबह 9 बजे घर से गायब हो गई थी। 18 अक्टूबर को बाणगंगा थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई। परिजन ने क्षेत्र के ही भाजपा नेता जगदीश करोतिया और उसके बेटों पर आरोप लगाया, इसके बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस न टि्वंकल को तलाश सकी, न आरोपितों की गिरफ्तारी हुई। इससे आहत परिजन ने एडवोकेट अजय बागड़िया और गजेंद्र चौहान के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज करती है पुलिस

कोर्ट के आदेश पर सोमवार को सुनवाई के दौरान डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र, एसपी अवधेश गोस्वामी, एएसपी प्रशांत चौबे, सीएसपी हरीश मोटवानी मौजूद थे। याचिका की सुनवाई भोजनावकाश के बाद जस्टिस रोहित आर्य की कोर्ट में हुई। एडवोकेट बागडिया ने तर्क रखे कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आरोपितों के नाम बताने के बावजूद पुलिस अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है। आरोपितों द्वारा ब्रेन टेस्ट के लिए सहमति देने के बावजूद पुलिस टेस्ट नहीं कराती और बाद में आरोपित इस टेस्ट से इनकार कर देते हैं। पुलिस समय पर पर्याप्त कार्रवाई कर देती तो टि्वंकल मिल जाती या उसका शव मिल जाता। डीआईजी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में एसआईटी गठित करने के लिए शासन को पत्र लिखा जा चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *