लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार  ने कोरोना वायरस  से लोगों को बचाने में जुटे डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा की दिशा में बड़ा फैसला किया है। यूपी में अब डॉक्टरों और नर्सों समेत स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला गैर जमानती अपराध होगा। केंद्र सरकार की तरह ही यूपी सरकार ने भी इस नियमावली में संसोधन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत एपिडेमिक डिजीज ऐक्ट, 1897 में बदलाव किए गए हैं।
 
इसके तहत मेडिकल स्टाफ पर हमला करने वाले लोगों को 7 से 5 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा उनपर 50000 रुपये से 2 लाख रुपये तक जुर्माना भी लगाया ज सकता है। नए कानून के मुताबिक अगर डॉक्टर या दूसरे स्टाफ की गाड़ी या क्लिनिक को नुकसान पहुंचाया जाता है तो नुकसान की दोगुनी रकम की वसूली अपराध करने वाले से की जाएगी। ऐसे मामलों की जांच का काम 30 दिन में पूरा कर लिया जाएगा। सीनियर इंस्पेक्टर ऐसे मामले की जांच कर सकता है।
 

नए कानून के मुताबिक, इस तरह के अपराध को गैर-जमानती माना जाएगा। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने स्वास्थ्य कर्मियों के हित में कानून में बदलाव लाने का फैसला लिया था। महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन कर अध्यादेश लागू किया जाएगा। ऐसा अपराध अब संज्ञेय और गैर-जमानती होगा। 30 दिनों के अंदर जांच की जाएगी। आरोपी को तीन महीने से पांच साल तक की सजा हो सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
 

उन्होंने कहा कि गंभीर चोटों के मामले में आरोपी को छह महीने से सात साल तक की सजा हो सकती है। साथ में दोषी पर एक लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यदि स्वास्थ्यकर्मियों के वाहनों या क्लीनिकों को नुकसान पहुंचता है तो क्षतिग्रस्त संपत्ति का दोगुना मुआवजा दोषियों से लिया जाएगा।

बता दें पुलिस, स्वास्थ्यकर्मी और सफाईकर्मी कोरोना वॉरियर्स की तरह हमें बचाने के लिए आगे आए हैं। लेकिन देश के कई हिस्सों में इन पर हमले की खबरें आई हैं. इसे लेकर डॉक्टर संगठनों के साथ ही साथ तमाम लोगों ने भी सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
 

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