भोपाल ! राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की विशेष अदालत में आरोप पत्र पेश किया। इस हत्याकांड में प्रज्ञा ठाकुर सहित आठ आरोपी हैं। संघ प्रचारक जोशी की 27 दिसम्बर 2007 को देवास में हत्या कर दी गई थी। जोशी पर कई धमाकों में शामिल होने आरोप था। शुरुआत में इस हत्याकांड की देवास पुलिस ने जांच की और जोशी को गोली मारने का मुख्य आरोपी हर्षद सोलंकी को बनाया था। इस हत्याकांड की मुख्य कड़ी के तौर पर प्रज्ञा ठाकुर का भी नाम आया। प्रज्ञा 2008 के मालेगांव बम धमाके में भी आरोपी है।
जोशी हत्याकांड को कथित तौर पर हिंदू आतंकवाद से जोड़े जाने के चलते यह पूरा मामला एनआईए को सौंप दिया गया। एनआईए के हाथ में जांच आते ही बड़े खुलासे हुए और प्रज्ञा ठाकुर सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया। एनआईए ने अपनी जांच के बाद न्यायाधीश विजय कुमार पांडे की अदालत में आरोप पत्र पेश किया है।
सूत्रों के अनुसार एनआईए ने अपनी जांच में पाया है कि जोशी की हत्या की मुख्य वजह उसका प्रज्ञा के प्रति यौन आकर्षण था और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा भी थी। इसके अलावा प्रज्ञा को इस बात की भी आशंका थी कि कहीं जोशी उसकी बम धमाकों की योजनाओं को सार्वजनिक न कर दें।
एनआईए ने अपने आरेाप पत्र में लगभग वहीं बातें कही है जो देवास पुलिस ने अपनी जांच में पाया था, सिर्फ एक बात को लेकर दोनों में मतभिन्नता है, वह है गोली मारने वाले को लेकर। देवास पुलिस ने हर्षद को गोली मारने वाला बताया था, जबकि एनआईए ने राकेश और मुकेश पर यह आरोप लगाया है।
एनआईए ने इस मामले में राजेंद्र चौधरी, लोकेश शर्मा, जितेंद्र शर्मा बलवीर सिंह, प्रज्ञा ठाकुर सहित आठ लोगों को आरोपी बनाया है। जांच में पाया गया है कि राजेंद्र व लोकेंद्र ने ही 29 दिसंबर 2008 की रात को जोशी को गोली मारी थी, जितेंद्र ने पिस्तौल मुहैया कराई थी जबकि बलवीर ने इसे छुपाया था।
सूत्रों का कहना है कि एनआईए द्वारा पेश किए गए आरेाप पत्र से जोशी हत्याकांड आम हत्याकांड जैसा ही हो गया है। अभी तक इस हत्याकांड को हिंदू आतंकवाद से जोड़कर कर देखा जाता रहा है, मगर एनआईए ने हत्याकांड की वजह प्रज्ञा के प्रति यौन आकर्षण तथा व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का खुलासा कर इस मामले में नया मोड़ ला दिया है।