नई दिल्ली !  दिल्ली को दहला देने वाले सीरियल किलर चंद्रकांत झा को आज रोहिणी अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने इस मामले को दुर्लभतम बताते हुए कहा है, कि आरोपी ने जिस तरह की बर्बरता दर्शाई है, उसे देखकर नहीं लगता, कि वह सुधर सकता है। इसके साथ ही सबूत मिटाने का दोषी करार देते हुए उसे सात साल सश्रम कैद की भी सजा सुनाई गई। उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
चंद्रकांत झा के खिलाफ हरिनगर थाने में 20 अक्टूबर 2006 और 25 अप्रैल व 18 मई 2007 को हत्या के तीन मामले दर्ज किए गए थे। उस पर अपने सहयोगियों अनिल मंडल उर्फ अमित, दलीप व उपेंद्र राठौर की हत्या कर उनकी सिरकटी लाशों को तिहाड़ जेल के बाहर फेंकने का आरोप था। वह उनके हाथ, पैर व संवेदनशील अंगों को दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर फेंक देता था। पुलिस के अनुसार चंद्रकांत ने उपेंद्र की हत्या 24 अप्रैल 2007 में की थी। उसने उपेंद्र का सिर कटा शव 25 अप्रैल की सुबह तिहाड़ जेल के गेट नंबर तीन के पास बोरे में भर कर फेंक दिया था। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने बोरे को खोला तो उसमें 28-30 साल के युवक का कटा हुआ सिर, हाथ व पैर थे। वहीं 25 अप्रैल की सुबह पुलिस को हैदरपुर नहर के निकट बाबा रामदेव मंदिर के पास किसी व्यक्ति का पैर पड़ा होने की सूचना मिली। पुलिस दोनों मामले में जांच कर ही रही थी कि सुबह दस बजे गाजियाबाद पुलिस को सब्जी मंडी लोनी में दो संदिग्ध कार्टन मिलने की सूचना मिली। मौके पर पहुंची यूपी पुलिस ने कार्टन खोला तो उसमें एक व्यक्ति के कटे हाथ और दूसरे में संवेदनशील अंग थे। इन सभी हत्याओं को खुलासा उसकी गिरफ्तारी के बाद  हो सका।

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