ग्वालियर। मध्यप्रदेष के भिण्ड डाकघर के खाताधारकों के खाते से फिक्स डिपॉजिट (एफडी) और रेंकरिंग (आरडी) का पैसा एजेंट द्वारा निकालने के मामले का खुलासा होते ही हड़कंप मच गया है। डाक अधीक्षक ने इस घोटाले की जांच शुरू करवा दी है। छह सदस्यीय टीम इस घोटाले की सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देगी। खाताधारकों के मुताबिक अब तक चार सौ से अधिक ऐसे लोग सामने आ चुके हैं, जिनके खाते से पैसा निकला है। संभावना जताई जा रही है यह घोटाला करीब 5 करोड रुपए से अधिक का है। कल षाम को टीम के सदस्यों ने गल्ला मंडी डाकघर पहुंचकर जांच के लिए पूरा रिकार्ड सीज कर दिया। वहीं ठगे गए खाताधारकों ने कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी को भी एक ज्ञापन दिया है, जिसमें उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
यहां बता दें कि बेबी जैन पत्नी रमेशचंद्र जैन डाकघर की एजेंट हैं, लेकिन उनका पूरा काम उनके पति रमेश चंद्र जैन व उनके 2 लडके दीपक जैन व मोनू जैन देखते हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने 400 से अधिक खाताधारकों को जानकारी दिए बगैर उनके खातों से पैसा निकाल लिया। वहीं जब लोगों को पता चला तो उन्होंने रमेशचंद्र जैन को तलाशना शुरू किया। लेकिन वह भी गायब मिले। ऐसे में लोगों ने एजेंट रमेशचंद्र जैन के खिलाफ अमानत में खयानत का मामला दर्ज कराने के लिए कोतवाली में आवेदन दिया। लेकिन 48 घंटे गुजरने के बाद भी पुलिस ने अब तक एजेंट के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं की है। धोखाधडी का शिकार हुए खाताधारकों का कहना है कि डाकघर के कर्मचारियों और एजेंट की सांठगांठ के बगैर उनके खातों से राशि का भुगतान नहीं हो सकता। लोगों ने कल देर षाम इसकी शिकायत कलेक्टर से की।
धोखाधडी का शिकार हुए खाताधारकों ने कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी को ज्ञापन दिया। इसमें उन्होंने कहा कि एजेंट रमेशचंद्र जैन ने डाकघर कर्मचारियों की मिलीभगत से उनके खातों से राशि निकाल ली है। जबकि डाक विभाग के अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वहीं पुलिस भी रमेशचंद्र को तलाश नहीं रही है। इस पर कलेक्टर ने डाक विभाग के अधीक्षक को फोन पर ही मामले की जांच कराने के निर्देश दिए। वहीं उन्होंने एडिशनल एसपी राजेंद्र वर्मा को भी निर्देश दिए कि वे एजेंट रमेशचंद्र जैन को तलाश करें। साथ ही खाताधारकों से कहा कि पुलिस को रमेशचंद्र का मोबाइल नंबर दे दें, जिससे उन्हें तलाशने में सहायता मिलेगी। कलेक्टर ने खाताधारकों को आश्वस्त किया कि इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी। साथ ही वे इस संबंध में डाक विभाग के डीजी को भी चिट्ठी लिखेंगे।
खाता धारक कुन्दन जैन ने बताया कि उनका 4000 हजार रुपए महीने का खाता था। समय सीमा पूरी होने पर एजेंट से कहा कि पैसा निकलवा दो। वह मुझे टालता रहा। इसके बाद हम खुद ही पोस्ट ऑफिस पहुंचे तो पता चला कि खाते को बीच में ही खत्म कर राशि निकाल ली है। खाता धारक रामाधार सोनी ने बताया कि हमारे तीन- तीन हजार रुपए मासिक की दो आरडी थी। यह खाते एजेंट रमेशचंद्र जैन के माध्यम से खुलवाए थे। इन खातों को 2018 में पूरा होना था। लेकिन एजेंट रमेशचंद्र जैन ने उक्त खातों को बीच में खत्म कर राशि निकाल ली।
भिण्ड कलेक्टर इलैया राजा टी ने बताया कि डाकघर में हुई गडबडी को लेकर लोगों ने शिकायत की हैं। हमने अधीक्षक को मामले की जांच कराने के लिए कहा है। साथ ही एएसपी राजेन्द्र वर्मा को रमेशचंद्र को तलाश करने के लिए भी कहा है। जल्दी ही इस मामले की पूरी जांच कर निर्णय लिया जाएगा।
डाकघर की एजेंट बेवी जैन का पति रमेशचंद्र जैन सालों से डाकघर के एजेंट हैं। वे लोगों से पैसा लेकर उनके डाकघर में एफडी, आरडी के खाते खुलवाते थे। साथ ही हर महीने पैसे लेकर डाकघर में जमा करते थे। विश्वास में ज्यादातर खाताधारकों की पासबुक व रसीद रमेशचंद्र जैन के पास ही रखी रहती थी। दिसंबर महीने में कुछ लोगों की एफडी, आरडी की परिपक्वता सीमा पूर्ण हुई तो उन्होंने उसके भुगतान के लिए एजेंट रमेशचंद्र जैन से कहा। लेकिन एजेंट जैन उन्हें टालता रहा। तब लोग खुद ही भुगतान के लिए डाकघर पहुंच गए। जहां उन्हें पता चला कि उनके खाते का भुगतान तो बहुत पहले ही हो गया है। लोगों ने रमेशचंद्र जैन को घेरना शुरू किया। वहीं अन्य खाताधारक भी डाकघर में अपने खाते की जांच कराने पहुंचे तो उनके साथ ही वही कहानी रही। तब लोगों ने मामले की शिकायत की। इधर रमेशचंद्र जैन भी गायब हो गया है।
च्ंबल संभाग के अधीक्षक एसके पाण्डेय ने बताया कि जांच टीम में डाकघर भिण्ड निरीक्षक एके साहू, मेहगांव निरीक्षण यूसी शर्मा, लहार निरीक्षक मनोज कुमार शिवहरे, भिण्ड के मेल ओवरसियर शिशुपाल सिंह कुशवाह, मुकेश शर्मा, सिस्टम मैनेजर विवेक सेंगर शामिल हैं। यह लोग यह जांच कर रहे हैं कि आखिर बिना खाताधारक की जानकारी के एजेंट ने भुगतान कैसे हुआ। अधीक्षक पाण्डेय ने बताया कि डाक विभाग केंद्र सरकार के अधीन है। ऐसे में इस घोटाले की जांच सीबीआई भी कर सकती है। डाक विभाग के अधीक्षक एसके पांडेय ने संभावना जताई कि नियमानुसार केंद्र सरकार के विभागों में 10 लाख रुपए से अधिक वित्तीय अनियमितता होने पर जांच सीबीआई करती है।