भिण्ड। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में 5 विधानसभा क्षेत्र में हुए चुनाव में 3 विधानसभा लहार, गोहद, मेहगांव में कांग्रेस प्रत्याशी ने अपनी जीत दर्ज की है। भिण्ड विधानसभा से बसपा और अटेर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई है। कांग्रेस के लहार विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी डॉं. गोविन्द सिंह ने लगातार सातवीं बार जीत दर्ज करा के एक इतिहास रच दिया है।
देश व प्रदेश मेें चलने वाली मोदी व भाजपा की लहर का असर मध्यप्रदेश के चंबल संभाग की भिण्ड जिले की लहार विधानसभा सीट तक आते-आते समाप्त हो जाता है और यहां आज भी कांग्रेस या यूं कहें की डॉ. गोविन्द सिंह की तूती बोलती है और भाजपा की आंधी हो या तूफान डॉ. गोविन्द सिंह के सामने टिक नहीं पाते हैं। भिण्ड जिले की लहार उन विधानसभाओं में से एक है जहां कांग्रेस की जीत इतिहास नहीं बल्कि वर्तमान को भी पीछे छोड़े हुए है। इसके पीछे की वजह यह बताई जाती है कि लहार के कांग्रेस विधायक डॉ. सिंह एक चुनाव खत्म नहीं हो पाता तब तक दूसरे चुनाव की तैयारियों में जुट जाते हैं उनका कहना है कि वह पांच वर्ष में एक बार नहीं बल्कि हर रोज चुनाव लडने में विश्वास रखते हैं। यह उनकी रणनीति तो है ही साथ ही यही उनका सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र भी है। इसके चलते वह लगातार 6 बार से विधायक हैं। जिसमें पहली बार 1990 में जनता दल से विधायक बने और उसके बाद 1993 से लगातार अब तक कांग्रेस से विधायक बनते चले आ रहे हैं। इससे पहले डॉ. सिंह दो बार चुनाव हार भी चुके थे। भाजपा का जनाधार लहार में सिमटकर रह गया है। डॉ. सिंह की तागत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भिण्ड जिले की 5 विधानसभा सीट पर जहां कांग्रेस से दर्जनों नाम संभावित प्रत्याशी के रूप में दिखाई पड़ते हैं वहीं लहार में सिर्फ इकलौता नाम डॉ. गोविन्द सिंह का है।
लहार विधायक डॉ. गोविन्द सिंह के सामने भाजपा की सभी योजनाएं धरी की धरी रह जाती है और हर बार भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेस के सामने घुटने टेकने पड़ते हैं। भाजपा की हालत लहार विधानसभा सीट पर इतनी कमजोर है कि इसे पटरी पर आने में बहुत समय लगेगा। यहां भाजपा का वोट बैंक भी सिमटकर रह गया है जनता के दिलों पर डॉ. सिंह का कब्जा जमा हुआ है। बताया तो यह भी जाता है कि भाजपा जानबूझकर इस सीट को अपने लिए मजबूत करने पर विचार न कर इस सीट को डॉ. सिंह के लिए छोड़े हुए है।
मध्यप्रदेश की स्थापना होने के बाद से अब तक लहार विधानसभा सीट पर 13 बार विधानसभा चुनाव हुए और इसमें 9 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है जबकि 4 बार अन्य दल जीत दर्ज करा पाए। लेकिन जब से डॉ. गोविन्द सिंह ने अपना पहला चुनाव जीता उसके बाद से अब तक उनके सामने बड़े से बड़े दिग्गजों को हार के अलावा कुछ और हाथ नहीं लग पाया है। कुल मिलाकर डॉ. गोविन्द सिंह एक मजे हुए खिलाड़ी के रूप में सामने वाले को परास्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
विगत 15 वर्षों से प्रदेश में भाजपा की सरकार है फिर भी लहार विधानसभा पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा यहां पर न सिर्फ जनपद पंचायत बल्कि निकाय, मण्ड़ी, बैंक से लेकर पंच और सरपंची सभी पर कांग्रेस का ही कब्जा है। यह इस बात का उदाहरण है कि लहार विधानसभा पर प्रदेश की भाजपा सरकार अब तक प्रभाव नहीं छोड़ पाई है।
लहार विधायक डॉ. गोविन्द सिंह 1990 में पहली बार चुनाव जीतने के पहले जनता दल से लगातार दो बार चुनाव लड़े और हारे भी उसके बाद उन्होंने अब तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। बताया जाता है कि डॉ. गोविन्द सिंह के खिलाफ बसपा से रमाशंकर सिंह ने चुनाव लड़ा और उनकी जीत इस चुनाव में सुनिश्चित मानी जा रही थी, लेकिन आखिर में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का सहयोग डॉ. गोविन्द सिंह को मिला और रमाशंकर सिंह 5 हजार के करीब मतों से हार गए।
लहार की जनता ने 1962 में कांग्रेस के प्रभुदयाल को जीत दिलाई और अगली बार 1967 में सरदू प्रसाद त्रिपाठी भारतीय जनसंघ के टिकट पर विजयी हुए। 1977 में जनता पार्टी से रमा शंकर सिंह ने चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें चुनाव चिन्ह नहीं मिल सका तो उन्हें रेल का इंजन चुनाव चिन्ह से चुनाव लडना पड़ा और उन्हें जीत हांसिल हुई। वहीं अगला चुनाव 1980 में हुआ और यहां रमा शंकर चौधरी कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा तक पहुंचे और मंत्री भी बने। इनके पिता राघव राम चौधरी भी 1997 में विधायक रह चुके है। इसके बाद 1985 में मथुरा प्रसाद महंत भाजपा से चुनाव लड़ कर विजयी हुए। फिर शुरूआत 1990 में डॉ. गोविन्द सिंह के युग की हुई और उन्होंने अपना पहला चुनाव जनता दल से लड़कर जीत हांसिल की और उसके बाद 1993 से लेकर 1998, 2003, 2008 और 2013 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और हर बार जीत का जश्न मनाया। वर्ष 2013 के चुनाव मे डॉं. गोविन्द सिंह को 53,012 मत मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी रसाल सिंह (भाजपा) को 46,739 मत हमले थे। इसलिए डॉं. गोविन्द सिंह 6,273 मतों से विजयी रहे थे। इस बार फिर डॉं. गोविन्द सिंह कांग्रेस व रसाल सिेह भाजपा के बीच मुकावला हुआ तो डॉं. गोविन्द सिंह 9073 वोट ो जीते। डॉं. गोविन्द सिंह को 62113 वोट मिले जबकि भाजपा के रसाल सिंह को 53040 बोट मिले।