भोपाल ।       कांग्रेस ने बुंदेलखंड के चौमुखी विकास के लिए बुंदेलखंड पैकेज दिया था, परन्तु उन पैसों का भाजपा नेताओं से मिलीभगत कर सरकार ने बंदरबांट कर दिया। पैकेज मे 25 प्रतिशत राशि का ही सही उपयोग नहीं हुआ, शेष राशि भाजपा नेताओं और अफसरों की जेब में चली गई। कपिलधारा के कुएं, सिंचाई तालाब और अन्य विकास कार्य केवल कागज पर हुए हैं। यह आरोप कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने लगाए। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड पैकेज में भारी वित्तीय अनियमितता हुई है। प्रदेश सरकार को खर्चें का ब्यौरा एक महीने के भीतर सार्वजनिक करना चाहिए।
श्री भूरिया ने कहा है कि बुंदेलखंडवासियों को पिछड़ेपन से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत अरबों की राशि राज्य सरकार को दी है। इस राशि का पूरा सदुपयोग हो जाता तो बुंदेलखंड को पिछड़ेपन से छुटकारे की दिशा में पिछले वर्षों में एक मजबूत आधार भूमि तैयार हो चुकी होती, लेकिन चिंता की बात है कि बुंदेलखंड के लोग तो खुशहाली के आने का रास्ता ही देखते रह गए और भाजपा के चहेतों ने पैकेज के पैसों से अपनी जेबें भर लीं। भाजपा नेता द्वारा विज्ञापन के जरिये ऐसा भ्रम पैदा किया जा रहा है-जैसे शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री काल में बुंदेलखंड का कायाकल्प हो गया है और किसानों के खेतों में खुशहाली बरस रही हो।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत राज्य सरकार विकास का जो ढिंढोरा पीट रही है, उसकी जमीनी सच्चाई दो गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) ने सामने रखी है और पैकेज में हुए भारी घोटालों की लोकायुक्त से जांच कराने का राज्य सरकार से अनुरोध किया था, किंतु लोकायुक्त की जांच में कहीं चुनाव वर्ष में सच उजागर न हो जाए, उससे घबराकर सरकार ने एनजीओ की रिपोर्ट में उजागर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक को सौंपी है। इस फैसले के पीछे सरकार का यह गुप्त एजेण्डा दिखाई देता है कि जांच लंबी खिंच जाए और भ्रष्टाचार का जिन्न विधानसभा चुनाव के पूर्व बोतल से बाहर न निकले। यह गुप्त एजेण्डा लोकायुक्त को जांच सौंपे जाने की स्थिति में पूरा होना संदिग्ध था।

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