भोपाल । एट्रोसिटी एक्ट व आरक्षण ने समाज में दूरियां बढ़ा दी। अब एक-दूसरे के घर आने-जाने के पहले सोचना पड़ता है। मामूली बातों पर विवाद की स्थिति बन रही है। कुछ ताकतें समाजों में वैमन्स्यता फैलाने में लगी हैं। शहर से गांव तक यही माहौल है। पहले ऐसा नहीं था लोग सुख-दुःख में साथ जीते थे। ये बातें कालियासोत ग्राउंड पर सपाक्स की क्रांति सभा में रविवार को प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए आम लोगों ने कहीं।
दरअसल, नवदुनिया की टीम ने सपाक्स की सभा में पहुंचे लोगों से जिले स्तर व ग्रामीण क्षेत्रों में एट्रोसिटी एक्ट व आरक्षण को लेकर फैली अफवाहों को लेकर बातें की। उनकी राय जानी, जिस पर लोगों ने जवाब दिए। लोगों ने बताया कि समाज में दो तरह की ताकतें काम कर रही हैं। एक एट्रोसिटी व आरक्षण के पक्ष में हैं और दूसरी विपक्ष में। पक्ष की ताकतें अपने हिसाब से जनता को भ्रमित कर रही हैं। जबकि, विपक्ष की ताकतें अपनी बातें मनवाने में लगी हैं। हालत यह हैं कि समाज के बीच खाई बढ़ती जा रही है।
सड़क किनारे खड़े वाहनों को पुलिस ने उठाया
क्रांति सभा के आयोजन में आने वाले लोगों को पुलिस ने भी जमकर परेशान किया। सड़क किनारे खड़े किए वाहनों को पुलिस ने क्रेन से हटाना शुरू कर दिया। यह देख लोग सभा के बीच से उठाकर अपने वाहनों को पुलिस से छुड़ाते नजर आए। पुलिस को ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू करने के लिए अलग से 100 पुलिसकर्मियों को बुलाना पड़ा। दरअसल, सभा में शामिल होने के लिए पूरे प्रदेश और बाहर से भी लोग आए थे। कलियासोत मैदान पर जगह नहीं मिलने के कारण लोगों ने सड़क पर वाहन खड़े कर दिए थे।
लोगों के बीच घुसकर पुलिस ने निगरानी की
सभा के दौरान पुलिस का नया प्रयोग सामने आया। इसमें थानास्तर के पुलिसकर्मियों को भेजा गया था। पुलिसकर्मी लोगों के बीच घुसकर उनसे फीडबैक ले रहे थे। पुलिस ने अखिल भारतीय सेवाओं से सेवानिवृत अफसरों की भी निगरानी की।
प्रशासन, पुलिस और सपाक्स के आंकड़ों में फेर
सपाक्स ने कलियासोत मैदान में 5 हजार लोगों की सभा करने के लिए प्रशासन से अनुमति ली थी। लेकिन करीब 40 हजार लोग एकत्र हो गए थे। कुछ लोगों का आना-जाना भी लगा रहा। इधर, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यहां महज 10 हजार लोग ही एकत्रित हुए। जबकि, सपाक्स का दावा है कि यहां एक लाख लोग एकत्रित हुए।
अब सवाल यह उठता है कि अगर पांच से सात हजार लोग ही आए थे तो प्रशासन को ऐन वक्त पर अतिरिक्त पुलिस फोर्स क्यों बुलवाना पड़ा। इधर, सपाक्स के संस्थापक सदस्य डॉ. शैलेंद्र व्यास ने बताया कि 25 हजार के आसपास कुर्सियां लगवाई गई थीं। इसके बाद भी कई लोगों को नीचे बैठना पड़ा।