सोनागिर — जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो खुशी का इजहार किया जाता है बैंड और मिठाइयां बांटी जाती है। मगर कृष्ण जैसे महापुरुष का जन्म हुआ तो उनके जन्म को गुप्त रखा गया क्योंकि दुख में भी मुस्कुराने की कला नारायण श्री कृष्ण समझाना चाहते थे यह उनकी लीला ही थी। जिंदगी में दुख और तकलीफ सभी के जीवन में आती मगर चेहरे की मुस्कुराहट कभी कम नहीं होना चाहिए क्योंकि संघर्ष का नाम ही जिंदगी है! यह विचार क्रांतिवीर मुनिश्री प्रतीक सागर जी महाराज ने सोनागिर स्थित आचार्य पुष्पदंत सागर सभागृह में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही!
मुनि श्री ने आगे कहा कि मनुष्य कर्म करने का अधिकारी है फल मिले या ना मिले। यह संदेश नारायण श्री कृष्ण ही देते हैं। कि तुम कर्म करो फल की इच्छा मत रखो कर्म जब हमारे श्रेष्ठ होते हैं तो उसका फल भी श्रेष्ठ ही प्राप्त होता है भाग्य का निर्माण कर्म के अधीन है। पुण्य कर्म सुख और आनंद प्रदान करते हैं पाप कर्म अशांति और तनाव को जन्म देते हैं । पाप कर्म से दूर रहो पुण्य कर्म में हमेशा लिप्त रहो इसी से जीवन महान बनेगा।
मुनि श्री ने कहा कि सत्य और धर्म का संग करो अगर अधर्म करने वाला तुम्हारा स्वयं का बेटा ही क्यों ना हो उसका भी साथ मत दो क्योंकि वह अधर्म करने वाला तुम्हारा बेटा नहीं तुम्हारा दुश्मन है! नारायण श्री कृष्ण यही बात कुरुक्षेत्र में खड़े होकर अर्जुन को समझाते हैं की सामने जो खड़े हैं वह तुम्हारे रिश्तेदार नहीं अधर्म का साथ देने वाले गुनहगार है इसलिए इनका सामना करने में तुम्हें भय और लज्जा नहीं होना चाहिए । मगर आज आदमी का सोच बदल चुका है अगर पाप और गुनाह करने वाला अपना है तो हम आंख बंद करके उसके गलत कृत्य का समर्थन करने लगते हैं यह हमारी कायरता की निशानी है जुल्म करना पाप है मगर जुल्म करने वाले का साथ देना भी गुना है। देश के चौमुखी विकास के लिए आवश्यक है कि हम सत्य की राह पर चलें महापुरुषों की जीवन चरित्र और लीलाओं से प्रेरणा लें। राम का चरित्र अनुकरणीय है नारायण श्री कृष्ण का कथन अनुकरणीय है राम ने जो किया वह करो कृष्ण ने जो कहा वह करो। राम के पद चिन्हों पर चलो कृष्ण के कथन को आत्मसात करके जिओ यही जीवन का मंगलसूत्र है। कृष्ण का नाम और लीला दोनों कठिन है मगर राम की चरित्र और नाम दोनों सरल है राम भगवान बन कर जिए नारायण श्री कृष्ण इंसान बनकर जिए तभी तो गोवर्धन पर्वत उठाकर गायों की रक्षा की आज उसी कृष्ण की गाय को कत्लखाने में ले जाकर मारा जा रहा है और उसके मांस का निर्यात किया जा रहा है भारत से मांस निर्यात भारत के माथे पर कलंक का टीका है जो सरकारें मांस निर्यात का समर्थन करती है सब्सिडी देती है वह सरकार ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकती क्योंकि भारत देश अहिंसा की गंगा पर जिंदा है जिस दिन अहिंसा की गंगा सूख जाएगी उस दिन देश नष्टोनाभूत हो जाएगा।