नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण के क्षेत्र में दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘चैंपियन ऑफ द अर्थ’ से सम्मानित किया गया। प्रवासी भारतीय केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने उन्हें यह पुरस्कार दिया है। वह इस पुरस्कार को देने के लिए विशेष रूप से भारत आए है। इस दौरान उन्होंने पर्यावरण बचाने के क्षेत्र में भारत के किए जा रहे कामों की सराहना की। पीएम मोदी को इस पुरस्कार को देने की घोषणा 26 सिंतबर को की गई थी। उन्हें यह पुरस्कार फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है।
पुरस्कार लेने के बाद पीएम मोदी ने इस सर्वोच्च सम्मान को सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान बताया और कहा कि यह पर्यावरण को लेकर उनकी आस्था और प्रतिबद्धता की देन है। वहीं उन्होंने पर्यावरण बचाने को लेकर भारत की वचनबद्धता को फिर दोहराया और कहा कि वर्ष 2020 तक भारत में एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का फैसला लिया गया है। देश अपनी इस वचनबद्धता पर कायम है और इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में किसी वस्तु के फिर से इस्तेमाल (री-यूज) और उसके री-साइकिलिंग करने जैसी बात हो रही है, लेकिन भारत में सदियों से यह रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है।
पीएम मोदी ने इस दौरान दुनिया को पर्यावरण के प्रति सचेत रहने का संदेश भी दिया और बताया कि पर्यावरण और आपदा का संस्कृति से सीधा रिश्ता है। जलवायु की यह चिंता जब तक संस्कृति का हिस्सा नहीं होगी, तब तक आपदा से बच पाना मुश्किल है। पर्यावरण को लेकर भारत की इसी संवेदनशीलता को पूरी दुनिया आज स्वीकार कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा देश है, जहां वृक्षों की पूजा होती है। तुलसी के पत्ते भी गिनकर तोड़े जाते है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने मोदी की तारीफ की और कहा कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खतरे को न सिर्फ समझा, बल्कि इससे निपटने के लिए कदम भी उठाए। यही बात है, जो उन्हें दुनिया के दूसरे नेताओं से अलग करती है। कार्यक्रम को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी संबोधित किया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने पीएम मोदी को यह पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनकी नीतियों और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को लेकर दिया है।