मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नर्मदा के संरक्षण के लिए बनाई गई विशेष समिति विवादों के घेरे में आ गई है। मुख्यमंत्री द्वारा नर्मदा के नाम पर पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल है कि क्या मुख्यमंत्री ने इन बाबाओं के आगे घुटने टेक दिए हैं। यही नहीं, सवाल यह भी है कि क्या बाबा सरकार को ब्लैकमेल कर रहे थे। शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का पद मिलने के बाद बाबाओं के तेवर बदल गए हैं। कंप्यूटर बाबा ने सहायक, सुरक्षा समेत अन्य सभी सुविधाओं की मांग करते हुए नर्मदा संरक्षण के लिए काम करने की बात कही है।
बता दें कि शिवराज सरकार ने मंगलवार को यह ऐलान किया था कि वह नर्मदा के संरक्षण के लिए एक विशेष समिति गठित कर रही है। इस समिति में पांच बाबाओं को सदस्य बनाया गया है। इन सभी को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। इस फेहरिस्त में हरिहरानंद, नर्मदानंद, भय्यूजी महाराज ,कम्यूटर बाबा और पंडित योगेंद्र महंत शामिल हैं। हैरान करने वाली बात तो यह है कि सरकार ने इस विशेष समति का कार्यकाल निर्धारित नहीं किया है। यही नहीं, आरोप यह भी है कि सरकार ने बाबाओं से सौदेबाजी करके यह समिति बनाई है और उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया है।
सरकार के खिलाफ यात्रा से पहले थामा शिवराज का हाथ
गौरतलब है कि कंप्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत ने सरकार के खिलाफ नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने का ऐलान किया था। इसके लिए उन्होंने 28 मार्च को इंदौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कंप्यूटर बाबा ने शिवराज की नर्मदा यात्रा वृक्षारोपण पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने एक अप्रैल से नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने का ऐलान किया था। इसके लिए उन्होंने अपनी पूरी तैयारी मीडिया को बताई थी। कंप्यूटर बाबा ने नेताओं की शैली को लेकर शिवराज पर आरोप लगाए थे।

मुखालिफत से पक्ष में आए कंप्यूटर बाबा

सरकार पर लग रहे हैं आरोप
सूत्रों के मुताबिक, आंदोलन की खबर मिलने के बाद शिवराज के करीबी माने जाने वाले मंत्री रामपाल सिंह ने बाबाओं से संपर्क किया। खासतौर पर उन्होंने कंप्यूटर बाबा और महंत से बातचीत की। इसी बातचीत में राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने की बात पर सौदा तय हुआ। सौदे के तहत यात्रा रोकी गई और सरकार ने आनन-फानन में राज्यमंत्री दर्जे के आदेश पारित कर दिए। आदेश के बाद बाबाओं के सुर बदल गए। सूत्रों का यह भी कहना है कि भय्यूजी महाराज और एक अन्य बाबा का नाम इसलिए जोड़ा गया है ताकि किसी भी तरह से सवाल ना उठ सकें।

कंप्यूटर बाबा ने की सहायक, सुरक्षा की मांग
राज्यमंत्री का दर्जा मिलते ही कभी विरोध के सुर तेज करने वाले कंप्यूटर बाबा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गुणगान करते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब राज्यमंत्री का दर्जा है तो सहायक और सुरक्षा दोनों चाहिए। अब हम नर्मदा के संरक्षण के लिए काम करेंगे।

कंप्यूटर बाबा के लिए सर्वश्रेष्ठ है शिवराज सरकार
यही नहीं, सोशल मीडिया में सरकार के खिलाफ अभियान चलाने वाले महंत योगेंद्र भी बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज का गुणगान करते हुए नजर आए। उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि संतों की यह समिति नर्मदा का नियमित प्रवाह सुनिश्चित करेगी। कंप्यूटर बाबा ने शिवराज सरकार को सर्वश्रेष्ठ सरकार का तमगा दे दिया। उदयवीर सिंह देशमुख उर्फ भय्यूजी महाराज ने खुद को राष्ट्रवादी संत बताया और कहा, ‘देशहित के किसी भी काम से जुड़ने के लिए मैं हमेशा तैयार रहता हूं लेकिन उन्होंने राज्यमंत्री के दर्जे के साथ मिलने वाली सुविधाएं लेने से इनकार किया है।’

गृहमंत्री ने दी सफाई
बता दें कि भय्यूजी महाराज ने कुछ दिनों पूर्व ही अपनी एक शिष्या से विवाह किया। उनकी पहली पत्नी का निधन हो गया था। भय्यूजी महाराज का इंदौर में एक भव्य आश्रम भी है। कुछ दिनों पहले उन्हें किसी अनजान शख्स ने जान से मारने की धमकी दी थी, जिसे लेकर वह चर्चा में आए थे। चुनाव से पहले अचानक बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने सफाई दी। उन्होंने मीडिया से कहा कि नदियों के संरक्षण के लिए सरकार ने समिति बनाई है। इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। आने वाले दिनों में और भी संत इस अभियान से जुड़ेंगे तो उन्हें भी राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा सकता है।

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