भोपाल !   मध्य प्रदेश में नेताओं के बेटे राजनीति के मैदान में अपने-अपने तरीके से दस्तक देने को आतुर हैं। इन्हीं बेटों की फेहरिस्त में एक नया नाम जुड़ गया है और वह है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान का, जो युवाओं के जोड़कर नई शुरुआत करने की तैयारी में हैं।
वैसे हम देखें तो प्रदेश के दिग्गजों के परिवार की नई पीढ़ी राजनीति के अखाड़े के दांव-पेंच सीख रहे हैं। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह को पहले ही इस खेल के मैदान में उतार चुके हैं, तो प्रदेश सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव व जयंत मलैया के बेटे भी अपने-अपने तरीके से मैदान तैयार करने में लगे हैं।
इसी कड़ी में एक और नया नाम जुड़ गया है और वह है राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय का। वे बीते रोज सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा के कई गांव तक पहुंचे। बता दें कि बुधनी मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र भी है।
कार्तिकेय किसी नेता के लिबास यानी कुर्ता-पायजामा में न होकर पेंट-शर्ट में ठीक ‘आधुनिक युवा’ के अंदाज में थे। हर कोई उन्हें माला पहनाकर पैर तक छूने को आतुर था। बात जब बोलने की आई तो शिवराज के ‘युवराज’ एक सधे हुए वक्ता के तौर पर कांग्रेस पर हमला करने और भाजपा की तारीफ करने से नहीं हिचके।
कार्तिकेय का कहना था कि आज का युवा समाज राजनीति के क्षेत्र में आने से कतराता है, वह इंजीनियर डाक्टर बनना चाहता है। कार्तिकेय ने 1997 में हुए पोखरण परमाणु परीक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया भर के कई देशों के विरोध के बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने इरादों से नहीं डिगे थे, मगर आज हर रोज पेपर पढ़ो तो एक नया घोटाला पढ़ने को मिलता है।
कार्तिकेय की उम्र अभी चुनाव लड़ने की तो नहीं है, हां, वोट डालने की उम्र जरूर हो चुकी है। वह राज्य से बाहर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वे युवाओं को जोड़ने के लिए 12 जून को नसरुल्लागंज में एक सम्मेलन करने जा रहे हैं। गांव-गांव में घूमकर कार्तिकेय सभी को न्योता दे रहे हैं कि वे नसरुल्लागंज जरूर पहुंचें, ताकि युवाओं से सीधे संवाद किया जा सके।
मुख्यमंत्री चौहान के साथ कार्तिकेय कई दफा सार्वजनिक आयोजनों में पहले भी नजर आए हैं, मगर वे सभी आयोजन धार्मिक रहे हैं। हरिद्वार में गंगा में स्नान कराना हो या मुख्यमंत्री आवास पर अखंड पाठ या भेापाल में त्रिपुर सुंदरी मंदिर की स्थापना समारोह। यह पहला अवसर है जब कार्तिकेय राजनीति की पाठशाला में ककहरा पढ़ते दिखे।
राज्य में विधानसभा चुनाव करीब है और सभी राजनेता अपने-अपने ढंग से तैयारियों में लगे हैं। कार्तिकेय की इस कोशिश को भी उसी तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है।

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