भोपाल। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मंत्री वैंकया नायडू ने मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर लगभग एक दशक पहले चली कवायद का खुलासा करते हुए कहा कि उन्हें जब राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब कुछ नेताओं को उनकी क्षमता पर संदेह था और उन्होंने सवाल भी उठाए थे। यहां तक कहा गया था कि यह कम उम्र और कम वजन का व्यक्ति है, इतने बड़े राज्य को कैसे संभालेगा। लेकिन शिवराज ने अपने काम के जरिये सभी शंकाओं को समाप्त कर दिया है।
स्मार्ट सिटी, स्वच्छ भारत मिशन सहित केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा के दौरान यहां प्रशासनिक अकादमी में आयोजित कार्यक्रम में सोमवार को नायडू ने कहा, “(शिवराज) चौहान को मुख्यमंत्री बनाए जाने के समय भले ही उनके वजन पर सवाल उठाए गए हों, मगर उनका काम चुस्त-दुरुस्त है।” ज्ञात हो कि राज्य में भाजपा 2003 में सत्ता में आई थी, तब उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
हुबली प्रकरण के चलते भारती ने पद छोड़ा, तो बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। वर्ष 2005 में पार्टी ने गौर को हटाने का फैसला किया और नए नेता की खोज हुई, तब पार्टी में काफी खींचतान हुई थी। नायडू ने उस घटनाक्रम का सोमवार को खुलासा किया। उन्होंने कहा, “जब चौहान को मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई तो कई नेताओं ने तरह-तरह की शंकाएं जताईं, पर मैंने उनकी क्षमताओं पर भरोसा जताया था।
वे मेरे कोई रिश्तेदार नहीं हैं, उनके काम को देखा था, उनके पास वह सब कुछ है जो एक अच्छे व्यक्ति में होना चाहिए। चौहान पर जो भरोसा जताया था उसे उन्होंने अपने कार्यकाल में साबित भी कर दिखाया है। प्रदेश को बीमारू राज्यों की श्रेणी से बाहर लाया। मुख्य रूप से पानी और बिजली के क्षेत्र में उन्होंने अद्भुत काम करके दिखाया है, जो देश के लिए आदर्श है।” इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह के अलावा नगर निगमों के महापौर, निगमायुक्त, नगर पालिका अध्यक्ष, मुख्य नगरपालिका अधिकारी भी मौजूद थे।

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