भोपाल।          केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि बड़े शहरों में महिलाओं के लिए अलग से बसें चलाई जाए। वह बसें छोटी भी हो सकती है। दिल्ली गैंगरेप के बाद केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए अलग से बसें चलाए जाने के संबंध में 23 जनवरी 2013 को दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक में निर्णय लिया था। यह बात अलग है कि भोपाल में एक साल तक महिला स्पेशल बस चलने के बाद बंद हो गई।
बड़े शहरों में नगरीय परिवहन सेवा में महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि बड़े शहरों में महिलाओं के लिए अलग से बसें चलाई जाए। सभी राज्यों में मुख्य सचिवों के साथ बैठक में इस संबंध में विचार हुआ था कि सभी राज्य बड़े शहरों में अलग से सिटी बसें चलाए जाने के संबंध में विचार करे। यह जरूरी नहीं है कि बसें स्टेंडर्ड साइज की हो। केंद्र सरकार की मानना है कि महिलाओं के लिए उन मार्ग पर अलग से सिटी बसें चलाई जाना चाहिए, जिन मार्ग पर महिलाए सिटी बसों का प्रयोग करती है। इसके लिए मिनी या मिडी बसें भी चलाई जा सकती है, लेकिन बसों की आवाजाही निरंतर होनी चाहिए। पिछले माह सभी राज्यों को भेजे गए पत्र में केंद्र सरकार ने यह अनुरोध किया है। भोपाल में महापौर कृष्णा गौर की पहल पर महिलाओं के लिए अलग से चार मार्गों पर लो-फ्लोर बसों का संचालन किया गया था, परन्तु एक साल घाटे में चलने के बाद महिला स्पेशल बसों का बंद करना पड़ा। महिला स्पेशल बस को महिला यात्रियों का टोटा होने लगा था, जिसके बाद बस को बंद कर दिया है। जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत शहर में दौड़ रही नगर वाहन सेवा की लो-फ्लोर की 150 बसों में से चार बसें महिला स्पेशल बस सेवा के रूप में दो मार्गों पर प्रमुख से चलाई जा रही थीं, परन्तु महिला स्पेशल बस को महिला यात्री ही नहीं मिल पा रहे थे, जिसके बाद इन दोनों मार्गों पर महिला स्पेशल को बंद कर दिया। ऐसे में केंद्र सरकार के अनुरोध को प्रदेश सरकार और जेएनएनयूआरएम की योजनाओं को क्रियान्वित करने वाले निकाय महिला स्पेशल बस चलाएंगे या नहीं, इस संशय बना हुआ है।

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