शर्लिन चोपड़ा ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। शर्लिन पर फ्री पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स पर अश्लील सामग्री पब्लिश करने का आरोप है। शर्लिन के आवेदन में दावा किया गया है कि वह कंटेंट सब्सक्रिप्शन बेस्ड इंटरनेशनल पोर्टल के लिए थी और वे पायरेसी का शिकार हुईं थीं। इसके पहले सेशन कोर्ट ने शर्लिन के खिलाफ दायर किए गए केस में उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस पीडी नाइक इस केस की सुनवाई सोमवार तक के लिए आगे बढ़ा दी है। उन्होंने यह फैसला तब लिया जब प्रॉसीक्यूशन ने कहा कि उनके खिलाफ कोई भी बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी। 67 साल के एक रिटायर्ड कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज आॅफिसर मधुकर केनी ने साइबर पुलिस से शिकायत की थी। यह शिकायत 31 अक्टूबर 2020 को की गई थी। शिकायतकर्ता ने एक पेन ड्राइव भी दी थी और कई एडल्ट कंटेंट प्लेटफॉर्म्स के नाम भी शिकायत की थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब चोपड़ा का नाम एक सर्च इंजन में लिखा गया तो उसके कई अश्लील वीडियो स्क्रीन पर आ गए। नोडल साइबर पुलिस ने 9 नवंबर 2020 के दिन शर्लिन सहित 22 लोगों को आईटी एक्ट 2008 के सेक्शन 292, सेक्शन 67-67अ और इनडीसेंट रिप्रजेंटेशन आॅफ वीमन (प्रोटेक्शन) एक्ट 1986 की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। अपनी अग्रिम जमानत याचिका में शर्लिन ने खुद को बिजनेस वुमन और एक्टर बताया है। याचिका उनके वकील चरनजीत चंदरपाल ने दायर की। याचिका में लिखा है कि वे इंटरनेशनल मार्केट के लिए एडल्ट कंटेंट बनाती हैं। उन्होंने लिखा कि उन्हें कभी भी पुलिस ने बयान दर्ज करने के लिए नहीं बुलाया है। मौजूदा हाल में वे आरोपी नहीं पीड़ित हैं। शर्लिन के मुताबिक वे दो कंपनीज की डायरेक्टर हैं। साथ ही वे एडल्ट वेबसाइट के लिए कंटेंट क्रिएट करती हैं। एफआईआर में बताई गई वेबसाइट में पायरेटेड कंटेंट है। जो कॉपीराइट का उल्लंघन है, क्योंकि वे केवल ओरिजनल प्लेटफॉर्म को ही कंटेंट देती हैं। चोपड़ा का कहना है कि उन्होंने लगातार उत्पीड़न का सामना किया है जो सब्सक्रिप्शन बेस्ड वेबसाइटों से वीडियो डाउनलोड करते हैं, वॉटरमार्क हटाते हैं और फ्री उपलब्ध कराते हैं। आवेदन में कहा गया है कि शिकायतकर्ता यह नहीं समझ पाया है कि असली अपराधी कौन है।FacebookTwitterEmail