मध्यप्रदेश में किसान अब इसलिए खुश हैं कि उनकी उपज कृषि मंडी में किसी भी कीमत पर बिके लेकिन उन्हें नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा। भावांतर भुगतान योजना से राज्य सरकार ने इस नुकसान की भरपाई करने का रास्ता खोज लिया है। अब किसान को व्यापारी द्वारा कृषि उपज मंडी में उपज का तय मूल्य मिलता है और राज्य सरकार उपज के समर्थन मूल्य तथा मॉडल रेट के बीच के अन्तर की राशि को भावांतर राशि के रूप में किसान के खाते में सीधे पहुंचाती है।

भावांतर भुगतान योजना के बारे में खरगोन जिले के ठीबगांव के किसान आनन्दराम यादव, पहाड़सिंगपुरा के जयराज दांगी, बड़वाह के राजू वर्मा और खामखेड़ा के मोहन इस तरह अपने साथी किसानों को समझा रहे हैं क्योंकि उन्हें इसी तरीके से राज्य सरकार ने उपज का सही मूल्य दिलवाया है। किसानों के लिए यह योजना खेती का सुरक्षा कवच बन गई है।

ठीबगांव के आनन्दराम यादव ने अपना मक्का मंडी में बेचा, व्यापारी ने उपज का भुगतान उसी दिन कर दिया लेकिन जब उन्हें अपने बैंक खाते में 38 हजार 281 रुपये जमा होने की खबर मिली तो उन्होंने बैंक वालों से पूछा कि यह किस बात का पैसा है ? बैंक वालों ने जब उन्हें बताया कि यह उनकी उपज के समर्थन मूल्य और मॉडल रेट के बीच के अन्तर की भावांतर राशि है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसी तरह पहाड़सिंगपुरा के जयराम दांगी बैंक खाते में 35 हजार 534 रुपये भावांतर राशि मिलने पर अगली फसल की तैयारी शुरू कर दी है। ग्राम बड़वाहा के राजू वर्मा अपनी सोयाबीन की फसल की भावांतर राशि 30 हजार 174 रुपये सीधे बैंक खाते में पाकर इसलिये निश्चिंत हुए हैं कि अगली फसल के लिये कर्जा नहीं लेना पड़ेगा। ग्राम खामखेड़ा के किसान मोहन अपने बैंक खाते में 32 हजार 206 रुपये की भावांतर राशि पाकर कहते है कि अब खेती नुकसान का कारोबार नहीं रही क्योंकि सरकार उनके साथ है।

खरगोन जिले में भावांतर भुगतान योजना में 56 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। दिनांक 16 से 31 अक्टूबर के बीच मंडी में कृषि उपज विक्रय करने वाले 5,773 किसानों को 3 करोड़ 73 लाख 77 हजार 46 रुपये की भावांतर राशि उनके खातों में मिली है। शेष पंजीबद्ध किसानों को योजना के द्वितीय चरण में राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही भावांतर राशि का भुगतान सुनिश्चित है।

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