भिण्ड। राष्ट्रसंत विहर्ष सागर महाराज ने कहा कि व्यक्ति की दिशा और दशा गुरु ही बदल सकते हैं। गुरु के सानिध्य में व्यक्तित्व इतना निखर जाता है कि वह पूज्यनीय हो जाता है। गुरु भगवान और भक्त के बीच उसी तरह सामंजस्य बिठाते हैं जैसे कलेक्टर के अवकाश पर जाने पर प्रभारी कलेक्टर कार्यभार संहालते है। इस युग में साक्षात परमात्मा हमारे बीच मौजूद नहीं है, पर गुरु परमात्मा से मिलन का मार्ग बताते है। इस युग में हमारा एक कदम भी गुरु के बिना आगे नहीं बढ सकता। मुनिश्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के ऋषभ सत्संग भवन में एक धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
मुनि विहर्ष सागर ने कहा कि गुरु की पूजा भक्ति में भगवान की पूजा हो जाती है। इसलिए गुरु के आगमन पर हम गुरु की भक्ति में आहर-विहार कर उनकी सेवा करते है। अगर हम साक्षात विराजमान गुरु को छोडकर भगवान की भक्ति करते हैं तो भगवान रुठ जाते है। जहां बेटे का सम्मान न हो वहां पिताजी भी रुठ जाते है। उन्होंने कहा गुरु चलते फिरते तीर्थ के समान होते है। जब हम गुरु के चरणों में पहुंच जाते है, गुरु हमारी हार नहीं होने देते। इस मौके पर मुनि विहसंत सागर एवं मुनि विजयेश सागर मंचासीन थे।