ग्वालियर। मध्यप्रदेश के पुलिस महानिर्देशक ऋषि कुमार शुक्ला एक दिवसीय प्रवास पर चंबल संभाग के मुरैना आए जहां उन्होंने पुलिस अधिकारियों की बैठक आयोजित कर कहा कि सुसाइड मेंटल हेल्थ इश्यू है। इसका विचार एक दिन में किसी के मन में नहीं आता। अगर समय रहते इस मेंटल हेल्थ इश्यू से पीडि़त व्यक्ति की मन की बात जान ली जाए तो ऐसा करने से उसे रोका जा सकता है। हमारे यहां परेड, दरबार आदि कार्यक्रम इसीलिए होते हैं। फिर भी अगर जरूरत पड़ी तो हम दीपावली के बाद कर्मचारियों के दिल की बात जानने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।
उनसे पूछा गया था कि पहले मुरैना जिले के सवलगढ के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) हेमंत सीसौदिया और फिर भिण्ड में प्रधान आरक्षक रामकुमार शुक्ला ने आत्महत्या की थी। इस तरह के मामलों को रोकने के लिए क्या किया जा रहा है। शुक्ला ने कहा कि प्रदेश में जितने लोग एक्सीडेंट में नहीं मरते, उससे कहीं ज्यादा आत्महत्या कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर साल करीब 10 हजार लोग आत्महत्या करते हैं। शुक्ला ने कहा कि हम प्रयास कर रहे हैं कि धीरे धीरे हर कर्मचारी के मन तक पहुंचे। इसके लिए लाइन परेड होती है। मुख्य परेड होती है, हम लोग दरबार लगाते हैं। उन्होंने कहा कि अब दीपावली आ रही है तो हम कर्मचारियों के लिए इसे माध्यम बनाकर ऐसे कार्यक्रम करेंगे, जिसमें उनके मन की बात को जान सकें। डीजीपी ने कहा कि पहले लोग संयुक्त परिवार में रहते थे तो उनके मन की बात को जानने वाले लोग भी ज्यादा रहते थे, अब परिवार छोटे हो गए हैं। इसलिए लोग जिम्मेदारियों से ही घिरे रहते हैं।
लाइन में सलामी के बाद डीजीपी ने चंबलरेंज के अधिकारियों के साथ लंबी बैठक की। करीब 3 घंटे यह बैठक जारी रही। शुक्ला ने बताया कि बैठक में विचार किया गया कि चंबल में नई चुनौतियां हैं, इसलिए पुलिस केा यहां अपनी कार्यप्रणाली में पैनापन लाने की जरूरत है। इस अवसर पर चंबलरेंज के आईजी उमेश जोगा, डीआईजी अनिल शर्मा व भिण्ड, मुरैना, दतिया, श्योपुर के पुलिस अधीक्षक मौजूद थे।
रेत खनन के सवाल पर डीजी शुक्ला ने कहा कि अबैध माइनिंग रोकना हमारा काम नहीं है, फिर भी इस साल चंबल संभाग में रेत पर जितनी कार्यवाही हुई है, वह 10 सालों में भी नहीं हुई, लेकिन यह कार्यवाही भी काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश में रेत बंद है, इसलिए यहां से रेत वहां जा रही है। एसएएफ द्वारा हमलों का सामना न कर पाने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वैसे तो एसएएफ वाले इस बात को जानते हैं, लेकिन अगर उन्हें पता नहीं तो मैं समझाऊंगा कि अगर ड्यूटी पर विपरीत परिस्थिति बनती है तो वे फायर कर सकते हैं।
डीजीपी शुक्ला ने आधुनिकीकरण के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश के 61 शहरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा साइबर क्राइम से निपटने के लिए पुलिस मुख्यालय मार्च 2018 तक सभी जिलों में साइबर से जुड़े सभी आवश्यक उपकरण उपलब्ध करा देगी। शुक्ला ने कहा कि 1 साल में हर जिले में ट्रेंड कर्मचारी तैनात होंगे। अगले 3 सालों में प्रदेश के हर थाने में साइबर संबंधी सुविधा उपलब्ध रहेगी। उन्होंने कहा कि डायल 100 और सीसीटीएनएस मध्यप्रदेश में ही सबसे पहले लागू हुआ था।
डीजीपी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जिले में कोई महिला थाना नहीं बनेगा। हम हर थाने में 15 से 20 फीसदी तक महिला स्टाफ तैनात करने पर विचार कर रहे हैं। जिले में एक महिला थाना बनाने से अच्छा हर थाने में महिला पुलिस की तैनाती करना है।